दिल्लीः दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका डरा हुआ है और उसकी डर की वजह अफगानिस्तान में तालिबान की मजबूत होती पकड़ है। तालिबानी लड़ाके अब तक 11 प्रांतों पर कब्जा करने के बाद राजधानी काबुल से करीब 150 किलोमीटर दूर रह गए हैं। इस बीच अमेरिका ने अपने नागरिकों को तुरंत अफगानिस्तान छोड़ने के लिए कहा है। भारत ने भी अपने नागरिकों से कहा है कि वे तुरंत अफगानिस्तान छोड़ने की तैयारी करें। इसके लिए दूतावास की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करा लें।
अफगानिस्तान में स्थित भारतीय दूतावास ने कहा है कि भारत ने अफगानिस्तान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से यहां हालात रोज बिगड़ते जा रहे हैं। हाल ही में भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दिकी की हत्या कर दी। दूतावास ने भारतीय पत्रकारों को विशेष तौर पर सतर्क रहने की सलाह दी है।
Security Advisory for Indian Nationals in Afghanistan@MEAIndia pic.twitter.com/SMKc7uAfl8
— India in Afghanistan (@IndianEmbKabul) August 12, 2021
इसके साथ ही भारतीय दूतावास ने बताया कि तीन भारतीय इंजीनियरों को भी सुरक्षित निकाला गया है। ये अफगानिस्तान के सरकारी फोर्स के साथ एक प्रोजेक्ट साइट पर काम कर रहे थे, जहां तालिबान ने कब्जा कर लिया है।
विश्व शक्ति माने जाने वाले अमेरिका ने अनुमान लगाया था कि तालिबान को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा करने में 90 दिन का समय लगेगा। इतने दिनों में वह अपने नागरिकों को और अधिकारियों को देश से बाहर कर लेगा, लेकिन उसका यह अनुमान गलत निकला है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी वार्ताकारों ने तालिबान से गुहार लगाई है कि यदि वे अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लेते हैं तो वे उसके दूतावास पर हमला नहीं करेंगे। साथ ही उसके नागरिकों और दूतावास के अफसरों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। आपको बता दें कि तालिबान के साथ अमेरिकी दूत जलमय खलीलजाद के नेतृत्व में बातचीत हो रही है।
यह भी जानकारी सामने आ रही है अमेरिका अफगानिस्तान में आने वाली सरकार ( जिसमें तालिबान की हिस्सेदारी हो सकती है) को आर्थिक सहयोग लटकाने की धमकी देकर अपने लोगों की सुरक्षा पुख्ता करना चाहता है।
आपको बता दें कि अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए कतर में वार्ता हो रही है। इस दौरान अफगान सरकार के वार्ताकारों ने तालिबान को देश में लड़ाई खत्म करने के बदले सत्ता के बंटवारे की पेशकश की है। आपको बता दें कि इस वार्ता में भारत की ओर से विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी जेपी सिंह शामिल हुए। जेपी सिंह विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान डिवीजन के संयुक्त सचिव हैं।
तालिबान नेतृत्व चाहता है कि अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद उसे दुनियाभर के देश मान्यता दें। हालांकि, उसकी नजर विश्व के शक्तिशाली देशों अमेरिका, चीन और रूस की ओर ज्यादा है। तालिबान इन देशों से आर्थिक मदद चाहता है, ताकि वो खुद को अफगानिस्तान के शासक के रूप में स्थापित कर सकें। वह इन देशों से सहयोग की मांग भी कर चुका है।
इस तरह से अफगानिस्तान में आने वाली सरकार का भविष्य इन अमीर देशों की शर्तों पर ही तैयार होगा। जर्मनी जैसे देशों ने तालिबान को पहले ही चेतावनी दे डाली है कि अगर वह अफगानिस्तान में कठोर इस्लामी कानून के साथ शासन करता है तो वह उसे किसी भी प्रकार की सहायता नहीं देगा।
वहीं भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम आशा करते हैं कि अफगानिस्तान में तत्काल युद्धविराम होगा। हम अफगानिस्तान की सभी शांति पहलों का समर्थन कर रहे हैं। हमारी प्राथमिक चिंता उस देश में शांति और स्थिरता है। उन्होंने कहा कि तालिबान के साथ चर्चा पर हम सभी देशों के संपर्क में हैं। मैं आगे कुछ नहीं कहना चाहूंगा।
उन्होंने कहा है कि पिछले साल काबुल में हमारे मिशन ने अफगानिस्तान में हिंदू और सिख समुदाय के 383 से अधिक सदस्यों को भारत वापस लाने में मदद की थी और मौजूदा समय में काबुल में हमारा मिशन अफगान हिंदू और सिख समुदाय के सदस्यों के संपर्क में बना हुआ है और हम उन्हें सभी आवश्यक सहायता का प्रावधान सुनिश्चित करेंगे।
हालांकि उन्होंने अफगानिस्तान में रहने वाले कुल भारतीयों की संख्या बताने से इनकार कर दिया और कहा कि हमारे पास नंबर नहीं है, लेकिन हम सभी को लौटने की सलाह देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि काबुल स्थित दूतावास को बंद नहीं किया जा रहा।
तालिबान द्वारा पकड़े गए भारतीय हेलीकॉप्टरों के बारे में उन्होंने कहा कि कुंदुज में हेलीकॉप्टर के बारे में बात हुई है, जिसे छोड़ दिया गया है। यह अफगानिस्तान का आंतरिक मामला है क्योंकि यह भारतीय वायुसेना का हेलीकॉप्टर नहीं है। यह एक अफगान हेलीकॉप्टर है।