दिल्लीः केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यदि ट्विटर को भारत में काम करना है तो उसे यहां के कानून मानने होंगे। वह मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकती है। उन्होंने यह बातें गुरुवार को कही।

उन्‍होंने बीजेपी महासचिव (संगठन) बीएल संतोष के साथ यहां पार्टी कार्यालय में बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि जो लोग भारत में रहते हैं और काम करते हैं, उन्हें देश के नियमों का पालन करना होगा।

केंद्रीय मंत्री से जब यह सवाल पूछा गया कि क्या माइक्रोब्लॉगिंग साइट नए आईटी (IT) यानी सूचना प्रौद्योगिकी के नियमों का अनुपालन नहीं कर रही है। इसका जवाब देते उन्होंने कहा कि भारत में जो कोई रहता है और काम करता है, उसे देश के नियमों का अनुपालन करना होगा।

पूर्व नौकरशाह वैष्णव ने बुधवार को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। उन्हें सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ रेलवे का भी प्रभार दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी देने के लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं।

उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने पर होगा। आपको बता दें कि कुछ महीने पहले उन्होंने ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में छात्र संघ की अध्यक्ष और कर्नाटक की रहने वाली रश्मि सामंत के इस्तीफे का मुद्दा राज्यसभा में उठाया था तथा इसे नस्लवाद का गंभीर मामला बताया था।

आपको बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी हाल ही में ट्विटर को फटकार लगाई थी। सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया था कि 01 जुलाई तक ट्विटर नए आईटी नियमों का पालन करने में नाकाम रहा है। इसे लेकर अदालत ने नाराजगी जताई थी। उसने ट्विटर से कहा था कि यदि आप इस गलतफहमी में हैं कि भारत में आप जितना चाहे उतना समय ले सकते हैं और आप से कोई सवाल नहीं करेगा तो हम इसकी इजाजत नहीं देंगे।

नए आईटी नियमों को लेकर हाल में दिनों में ट्विटर और सरकार के बीच लगातार तकरार रही है। ट्विटर ने कुछ दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता शशि थरूर का ट्विटर अकाउंट कुछ समय के लिए ‘लॉक’ कर दिया था। इसके लिए उसने अमेरिकी कानूनों का हवाला दिया था। साथ ही  उपराष्‍ट्रपति वेंकैया नायडू और संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत कई नेताओं के ट्विटर हैंडल से ब्‍लू टिक हटा दिया था।

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