नई दिल्ली.
आखिर फोन रिचार्ज कराने पर कंपनियां मंथली प्लान के नाम पर 30 दिनों के बजाए 28 दिनों का ही प्लान क्यों देती हैं? यह कोई मजबूरी नहीं, बल्कि अरबों की कमाई का सीधा-सीधा गणित हैं। मंतली प्लान में सिर्फ दो दिन कम करके बेहद चतुराई से ये कंपनिया मोबाइल ऑपरेटर यूजर्स को धोखा देते हुए अरबों की कमाई करती हैं।
साधारण बोल चाल की भाषा में एक महीने में चार सप्ताह कहा जाता है। साल में 12 महीने और एक महीने में 30 दिन। यह बात बचपन से ही हमें सिखाया जाता है। हालांकि कई महीने 31 दिनों के होते हैं, इसके अलावा एक माह 28 और कभी-कभी 29 दिन का भी होता है। परंतु हमें याद 30 दिनों की ही होती है। मगर कंपनियों ने 4 सप्ताह यानी की 28 दिन को बना दिया महीना और यही होती है मंथली मोबाइल रिचार्ज की वैधता।
इस प्रकार मोबाइल ऑपरेटर दो-तीन दिन को मिलाकर वे पूरा एक महीना बना लेते हैं। बारह महीने में दो दिन बचाएं तो 24 दिन ऐसे ही हो जाते हैं और इसमें कई महीने 31 के होते हैं। यदि आप 365 दिन के साल और 28 दिन का महीना मानते हैं तो फिर 365/28= 13.04 महीना बन जाता है। ऐसे में ऑपरेटर साल के 12 महीने को 13 महीनों में बदल देते हैं।
12 महीने को 13 महीने में बदलने का पूरा नुकसान मोबाइल यूजर्स को होता है और भरपूर फायदा मोबाइल ऑपरेटर्स को। यूजर्स एक साल में पूरे एक महीने का अतिरिक्त रिचार्ज कराते हैं। भारत में यूजर औसतन 140 रु प्रति माह खर्च करते हैं।
मार्च में ट्राई द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, मार्च में एवरेज रेवेन्यू पर यूजर 140 के करीब ही है। ऐसे में आप सोच सकते हैं कि जियो के पास 42 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं, जबकि एयरटेल के पास 35 करोड़ से ज्यादा और वोडाफोन आइडिया के 28 करोड़ से ज्यादा। ये यूजर्स अगर एक महीना अतिरिक्त रिचार्ज कराते हैं तो Jio (42,00,00,000 X 140 रु.=58,00,00,00,000) 58 अरब रुपये से ज्यादा पैसा बनाता है। वहीं एयरटेल (35,00,00,000 X 140 रु.= 49,00,00,00,000) 49 अरब रुपये से ज्यादा और वोडाफोन आइडिया (28,00,00,000 X 140 रु.= 39,00,00,00,000) 39 अरब रुपये से ज्यादा की कमाई करता है। अब आप सोच सकते हैं कि महीने में दो दिन बचाकर कितना बड़ी कमाई करते हैं। यही वजह है कि कंपनियों ने मंथली रिचार्ज को 30 दिन के बजाए 28 दिनों का कर दिया है।