महबूबा का पाक मोहब्बत और मोदी की रणनीति के कई मायने

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नई दिल्ली.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर मुद्दे पर 24 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इसको लेकर गुपकार संगठन के नेताओं ने आज नेकां प्रमुख फारूक अब्दुल्ला के आवास पर बैठक की। बैठक के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि भारत को कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान से भी बात करनी चाहिए। महबूबा ने कहा है कि जब पीएम मोदी दूसरे देशों में जाकर कश्मीर की बात कर सकते हैं तो पाकिस्तान से बात क्यों नहीं करनी चाहिए। इस पर भाजपा ने कहा कि वह पाकिस्तान की भाषा बोल रही हैं।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नई दिल्ली आवास पर 24 जून को एक बैठक के लिए जम्मू-कश्मीर के 14 नेताओं को निमंत्रण दिया गया है। केंद्रीय गृह सचिव ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फ़ारूक़ अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती समेत कई नेताओं से बैठक को लेकर बात की है। 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के तहत दिया गया विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से यह पहला मौका है, जब जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों या नेताओं को केंद्र सरकार की ओर से बातचीत के लिए बुलाया गया है।

जहां तक बैठक के एजेंडे का सवाल है तो अभी औपचारिक तौर पर कुछ भी साफ नहीं है, लेकिन बैठक में बुलाए गए नेताओं के लिए फिलहाल सबसे बड़ा मुद्दा जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिलाना है। स्वाभाविक है कि यह मसला बातचीत में उभरेगा। कुछ पार्टियां अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करने की बात भी कर सकती हैं। लेकिन जो कुछ भी होगा, उससे प्रधानमंत्री के साथ इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के लोगों का मन खुलेगा।

स्वाभाविक ही इस प्रस्तावित बैठक को लेकर राजनीतिक गहमागहमी देखी जा रही है। हालांकि किसी भी दल की ओर से अभी बैठक को लेकर रुख औपचारिक रूप से स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन आम तौर पर इसे सकारात्मक कदम माना जा रहा है। ज्यादातर नेता औपचारिक निमंत्रण मिलने से पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वे बातचीत के खिलाफ नहीं हैं और अगर उन्हें बुलाया गया तो वे बैठक में शामिल होकर अपनी बात रखना चाहेंगे। इससे इतना तो साफ हो ही जाता है कि किसी एक या दूसरे दल का रुख चाहे जो भी हो, पर यह पहल जम्मू-कश्मीर के आम लोगों की मन:स्थिति से मेल खाती है। वे चाहते हैं कि राजनीतिक संवाद शुरू हो और लोकतांत्रिक प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाए।

यह स्पष्ट होगा कि वे चाहते क्या हैं। हो सकता है इसमें यह भी स्पष्ट हो कि वे जो चाहते हैं उसे पूरा करने में सरकार के सामने किस तरह की दिक्कतें हैं। चर्चा यह भी है कि संभवत: इस बातचीत के जरिए राज्य में विधानसभा चुनावों की जमीन तैयार करने की कोशिश हो रही है। कुल मिलाकर देखा जाए तो बैठक के बाद क्या होगा और क्या नहीं होगा, जैसी कयासबाजी में उलझे बगैर भी इतना जरूर कहा जा सकता है कि इस बैठक के जरिए संवाद की जो प्रक्रिया शुरू की जा रही है, वह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

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