अयोध्याः यूपी के अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई भूमि में घोटाले आरोपों पर हंगामा थमने नाम नहीं ले रहा है। विपक्षी दल श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के जमीन की खरीद में घोटाले की जांच और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जबकि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने एक बार फिर आरोपों को निराधार बताया है। इस सिलसिले में ट्रस्ट की ओर से एक बार फिर से बयान जारी किया गया है, जिसमें सिलसिलेवार तरीके से जवाब दिया गया है।
ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने राम भक्तों से किसी भी बात पर विश्वास न करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि आरोप लगाने से पहले तीर्थ क्षेत्र के किसी भी पदाधिकारी से तथ्यों की जानकारी नहीं ली है। इन आरोपों से समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है। समस्त श्री राम भक्तों से निवेदन है कि वे ऐसे किसी दुष्प्रचार में विश्वास न करें।
श्री अयोध्या धाम स्थित बाग बिजेसी क्षेत्र में श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास द्वारा क्रय की गई भूमि से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य pic.twitter.com/2ioB2lh5Em
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) June 15, 2021
ट्रस्ट की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बाग बिजेसी में जिस जमीन को लेकर विवाद हो रहा है वह प्राइम लोकेशन है। भविष्य में यहां से चार लेने की सड़क मंदिर की ओर निकलेगी। यह जमीन 1.2080 हेक्टेयर है और इसे 1423 रुपये पर स्कॉयर फीट पर खरीदा गया है जो अयोध्या में इस इलाके के जमीन की वास्तविक दरों से बहुत कम है। ट्रस्ट ने सिलसिलेवार तरीके से दिया है जवाबः-
- जमीन के लिए 2011 से कई बार अग्रीमेंट किए गए। अलग-अलग लोगों ने ये अग्रीमेंट किए, लेकिन ये अग्रीमेंट पूरे नहीं हुए।
- जमीन को न्यास खरीदने का इच्छुक था, लेकिन पहले चाहता था कि पूर्व में किए गए सारे अग्रीमेंट और मालिकाना हक स्पष्ट हो।
- इस जमीन में व्यक्तिगत तौर पर करीब नौ लोग शामिल थे, जिन्होंने बीते 10 सालों में अग्रीमेंट किया, जिनमें तीन मुसलमान थे।
- जमीन को लेकर प्रत्येक व्यक्ति से निजी तौर पर संपर्क किया गया। उनसे मोलभाव किया गया और उनकी सहमति ली गई। इसके बाद न्यास ने अंतिम अग्रीमेंट मालिकों से किया।
- यह बहुत जल्दी किया गया, लेकिन पूरी पारदर्शिता बरती गई।
- तीर्थ क्षेत्र का प्रथम दिवस से ही निर्णय रहा है कि सभी भुगतान बैंक से सीधे खाते में ही किए जाएंगे। संबंधित भूमि की खरीद प्रक्रिया में भी इसी निर्णय का पालन हुआ है।
- सरकार द्वारा लगाए गए सभी कर का भुगतान किया गया।