आज मदर्स डे है। मानव जीवन में मां को सबसे ऊंच्चा स्थान प्राप्त है। भारत अनेकों वैदिक ग्रंथों में माताओं की महत्ता का बखान किया गया है। वेदों में जहां मां को सबसे बड़ा दानी कहा है। संहिताओं तक और वाल्मीकि रामायण से लेकर महाभारत तक सारे ग्रंथों में मां को निर्विवाद रूप से देवताओं के भी ऊपर स्थान दिया गया है। पंचतंत्र में लिखा है कि माता यस्य गृहे नास्ति…अरण्ये तेन गंतव्यम् अर्थात जिस व्यक्ति के घर में माता नहीं हो, उसे तो वन में चले जाना ही उचित है। 

मनु महाराज द्वारा लिखित मनु स्मृति प्राचीन भारत की पहली स्मृति मानी जाती है। इसमें सामाजिक व्यवस्था और मानव जीवन का वर्णन है। ऐसी मान्यता है कि मनु महाराज मनु के द्वारा ही अयोध्या की स्थापना की थी।  

वेदों में ऋग्वेद को पहला स्थान प्राप्त है। ऐसी मान्यता है कि प्रारंभिक काल में ऋग्वेद ही एकमात्र वेद था। कुछ काल के उपरांत पाराशर ऋषि के पुत्र कृष्णद्वैपायन व्यास ने इसे चार भागों में बांटा और इसी के कारण उनका नाम वेद व्यास पड़ा। ऋग्वेद में मां के बारे में लिखा है कि माता मधुवाचाः सुहस्ताः अर्थात माता ही सबसे मधुर वचन बोलने वाली और सबसे बड़ी दानी है।

ऋग्वेद वैदिक स्तुतियों का एक संकलन है। ऐसी मान्यता है कि यज्ञ पद्धति का प्रादुर्भाव भी इसी से हुआ है। वहीं सामवेद में जो संगीतबद्ध ऋचाएं हैं, वह भी इसी का अंश हैं। सामवेद में मां के बारे में लिखा है कि माता ही सबसे शक्तिशाली है।

अथर्व वेद को चार वेदों में चौथा वेद माना जाता है। ये मूलतः अर्थशास्त्र से जुड़ा है।  अर्थ इसी अथर्व से बना है। ये वेद मानव सभ्यता के विकास में बहुत सहायक है और शाखाओं और ऋचाओं में बहुत गूढ़ ज्ञान समाहित है। अथर्व वेद में मां के बारे में लिखा हुआ है कि माता पृथ्वी की तरह सी सभी तीर्थों से समाहित है।

पद्मपुराण 18 महापुराणों में से है। भगवान विष्णु की लीलाओं और उनके अवतारों की कथाओं पर आधारित इस ग्रंथ में संसार के सभी प्रमुख विद्याओं का सार तत्व है। पद्मपुराण में मां के बारे में लिखा है कि माता सभी तीर्थों से युक्त होती है अर्थात मां में सभी तीर्थ समाहित है।

तैत्तरीय उपनिषद प्राचीन 108 उपनिषदों में से एक है। ये तैत्तरीय ब्राह्मणों द्वारा रचे होने के कारण इस नाम से जाना जाता है। इसमें मां के बार में लिखा है कि माता देवताओं से भी बढ़कर होती है।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जीवन लीला पर आधारित वाल्मीकि रामायण को संस्कृत साहित्य का पहला महाकाव्य माना गया है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा इसे भगवान राम के रहते ही लिखा गया थाष यह भी प्रमाणित है कि इसी रामायण को लव-कुश ने भगवान राम को सुनाया था। वाल्मीकि रामायण में भी सामाजिक व्यवस्था और मानव जीवन पर कई महत्वपूर्ण बातें कही गई हैं। इस ग्रंथ में मां और मातृभूमि का बखान करते हुए लिखा है कि जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी अर्थात माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है।

महाभारत 5000 साल से ज्यादा पुराना ग्रंथ माना जाता है। वेद व्यास ने इसकी रचना बद्रीनाथ धाम में व्यास गुफा में की थी। महाभारत में एक लाख श्लोक में लिखा है कि मता इस भूमि से कही अधिक भारी होती है।

भास गुप्त काल के पूर्व या प्रारंभिक काल के लेखक माने जाते हैं। उन्होंने संस्कृत साहित्य में अपनी कई अनुपम कृतियां दी हैं। कालिदास ने भी अपने साहित्य में कहीं-कहीं भास का उल्लेख किया है। इससे साफ होता है कि भास कालिदास के पहले थे। भास ने मां के बारे में लिखा है कि माता सिर्फ मनुष्यों की ही नहीं देवताओं की भी भाग्य और देवता है।

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