इमोशन्स को दबाएं नहीं, बाहर आने दें, तभी स्ट्रेस दूर होगा

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नई दिल्ली.
कोरोना काल का ये वक्त बेहद मुश्किलों भरा है लेकिन इससे निकलना भी बहुत जरूरी है। बेचैनी, तकलीफ, दुख, उदासी और अपनों से बिछड़ने का दर्द बहुत अधिक होता है लेकिन खुद पर काबू पाना जरूरी है और इसके लिए खुश रहना पड़ेगा, खुद को संभालना पड़ेगा। इस समय खुद को संभालने की और अपने आसपास के लोगों, दोस्तों और रिश्तेदारों का संबल बनने की जरूरत है। हालांकि खुद को हमेशा पॉजिटिव रखना संभव नहीं, लेकिन दिमाग में चल रही हर चीज को खुद से समझने की कोशिश करें चाहें वह कोई पॉजिटव सोच हो या निगेटिव। उनके मुताबिक खुद को कंट्रोल में रखना बहुत ही जरूरी है।

अब पहले जैसे हालात नहीं है कि तनाव या स्ट्रेस होने पर आप लोगों से जाकर मिल सकें। दोस्तों के साथ कुछ पल बिता सकें। इस समय सोशल डिस्टेंसिंग पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है और ऐसे में घर में रहना ही उचित है। हालांकि घर में रहते हुए खुद को अकेला महसूस न करें और कई तरह के कामों में खुद को व्यस्त रखें। अपने दिमाग और मन में चल रहे सभी विचारों को खुद से महसूस करें और जानने की कोशिश करें कि आपके अंदर ऐसा क्यों हो रहा है। आपके दिमाग में इस तरह के विचार क्यों आ रहे हैं। आप जब एक बार इसका कारण जान लेंगे तो हर हालात से निपटना आपके लिए आसान हो जाएगा।

पहले प्रॉब्लम को एक्सेप्ट करें फिर उसका हल ढूंढें। अपने अंदर की सारी इमोशन्स को समझने की कोशिश करें। अच्छी मेमोरीज को याद करें और कैसे माहौल को पॉजिटिव बना सकें इस बारे में सोचें। लोगों के साथ अपने विचारों को शेयर करें। कोरोना के टाइम पर आप वर्चुअली ये काम आसानी से कर सकते हैं। सोशल मीडिया के मदद से आप एकसाथ कई लोगों के साथ अपना समय बिता सकते हैं।

जरूरी है कि आप अपना एक टाइम टेबल बना लें। शरीर के हिसाब से ही मेडिटेशन करें। जरूरी नहीं कि बहुत अधिक समय तक मेडिटेशन करने से सब कुछ ठीक हो जाएगा, बल्कि सही तरीके से करने से चीजें सही होंगी। मेडिटेशन करने का कोई समय नहीं होता। आप जब भी अपने अंदर तनाव महसूस करें तभी मेडिटेशन कर सकते हैं। इसमें दिन या रात का कोई काम नहीं। मेडिटेशन के लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह भी ले सकते हैं, ताकि चीजों को आप सही से बैलेंस कर सकें।

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