दिल्लीः वित्त वर्ष 2020-21 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिहाज से पिछले 40 वर्षों का सबसे बुरा दौर है। इस दौरान देश की जीडीपी (GDP) यानी सकल घरेलू विकास दर -7.3 प्रतिशत रही है। वहीं इसस पिछले वर्ष यानी 2019-20 में यह 4.2 फीसदी थी। इससे पहले 1979-80 में देश की विकास दर्ज -5.2 फीसदी दर्ज की गई थी। उस समय देश में भयंकर सूखा पड़ा था। साथ ही कच्चे तेल की कीमतें भी दोगुना बढ़ गई थीं। 1979-80 में देश में जनता पार्टी की सरकार केंद्र में थी।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की आज बताया गया कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने से पहले आर्थिक सुधार पटरी पर थे, लेकिन संक्रमण की दूसरी लहर के के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में -7.3 फीसदी रही। ये गिरावट उन अनुमानों की तुलना में काफी कम है, जिनमें देश की जीडीपी में इससे कहीं गिरावट का अनुमान लगाया गया था।
हालांकि चालू वर्ष के जनवरी से मार्च के दौरान यानी चौथी तिमाही में डीजीपी की विकास दर 1.6 प्रतिशत रही है, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में चार तिमाहियों में पहली दो तिमाही में जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन आखिरी दो तिमाही में इसमें बढ़त देखी गई थी।
सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था आकार अनुमान 38.96 लाख करोड़ रुपए रहा है। एक साल पहले इसी समय में यह 38.33 लाख करोड़ रुपए थी। सालाना आधार पर इसका अनुमान 135.13 लाख करोड़ रुपए लगाया गया है, जबकि एक साल पहले यह 145.6 लाख करोड़ रुपए थी।
चौथी तिमाही में जीडीपी में कृषि की ग्रोथ 4.3 प्रतिशत रही है। एक साल पहले इसी समय में यह 4.3 फीसदी थी थी। कंस्ट्रक्शन सेक्टर में चौथी तिमाही में 14.5 फीसदी की ग्रोथ रही है। इलेक्ट्रिसिटी, पानी, गैस और अन्य युटिलिटीज की ग्रोथ रेट 9.1 प्रतिशत रही है। एक साल पहले यह 7.3 फीसदी थी।
सरकार ने फरवरी में दूसरी बार जो एडवांस अनुमान जारी किया था उसमें बताया गया था कि अर्थव्यवस्था में 8 प्रतिशत की सालाना गिरावट आ सकती है। हालांकि उस अनुमान की तुलना में कम गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2019-20 में 4 प्रतिशत की बढ़त देखी गई थी।
हालांकि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान राजकोषीय घाटा सरकार के अनुमान से कम रहा। सांख्यिकी कार्यालय की ओर से सोमवार को जारी फिस्कल डेफिसिट का डाटा के मुताबिक राजकोषीय घाटा 18,21,461 करोड़ रुपए है, जो देश की कुल जीडीपी का 9.3 प्रतिशत है, जो वित्त मंत्रालय के अनुमानित 9.5 फीसदी से कम है।
वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान फिस्कल डेफिसिट जीडीपी का 4.6 प्रतिशत रहा था। लेखा महानियंत्रक (CGA) ने 2020-21 के लिए केंद्र सरकार के रेवेन्यू-खर्च के आंकड़ों को जारी करते हुए बताया कि फाइनेंशियल इयर के अंत में राजस्व घाटा (रेवेन्यू डेफिसिट) 7.42 प्रतिशत रहा है।
देश की अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2016-17 से लगातार गिरावट आ रही है। वर्ष 2019- 20 में जीडीपी ग्रोथ रेट 4.2 प्रतिशत थी, जो पिछले 11 साल में सबसे कम ग्रोथ रही थी। इससे पहले 2018-19 में यह 6.12 फीसदी, 2017-18 में 7.04 प्रतिशत और 2016-17 में यह 8.26 प्रतिशत रही थी। अर्थव्यवस्था में गिरावट की अहम वजहें 2016, नवंबर में नोटबंदी और फिर 2017, जुलाई से जीएसटी (GST) लागू होना था।