एक दिन में 50 डॉक्टरों की मौत… कोरोना के आंकड़े कम, बेशुमार गम

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Coronavirus Patients
सांकेतिक तस्वीर

नई दिल्ली
कोरोना संक्रमण ने दुनियाभर में फ्रंट लाइन वॉरियर्स की भी जान ले ली है। इसमें डॉक्टर और पुलिस वर्ग के वॉरियर्स भी शामिल हैं। सिर्फ इस रविवार को ही एक दिन में कोरोना के चलते 50 डॉक्टरों की मौत हो गई, जबकि भारत में इस साल आई कोरोना की दूसरी लहर में अब तक 244 डॉक्टर जान गंवा चुके हैं। सबसे ज्यादा बिहार में 69 डॉक्टरों की मौत हुई है। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 34 और दिल्ली में 27 डॉक्टरों की मौत हुई है। इनमें से 3 फीसदी डॉक्टर ही ऐसे थे, जिन्होंने कोरोना टीके की पूरी डोज ली थी। भारत में टीकाकरण की शुरुआत हुए 5 महीने का वक्त गुजर गया है और अब भी देश में सिर्फ 66 फीसदी हेल्थवर्कर्स को ही टीका लगा है। इससे पहले बीते साल कोरोना की पहली लहर में देश में 736 चिकित्सकों की मौत हो गई थी। इस तरह कोरोना के चलते अब तक देश में 1,000 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है।

आईएमए के महासचिव डॉ. जयेश लेले ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रविवार को हमने 50 डॉक्टरों को खो दिया। अप्रैल के पहले सप्ताह से अब तक 244 लोगों की मौत हो चुकी है।’ उन्होंने कहा कि अब भी ऐसे बहुत से डॉक्टर हैं, जिन्होंने कोरोना वैक्सीन नहीं ली है। उन्होंने कहा कि हमारी ओर से पूरा प्रयास किया जा रहा है कि सभी हेल्थवर्कर्स को टीका लगाया जाए। कोरोना की चपेट में आने वालों में डॉक्टरों की लिस्ट तो बहुत ही लंबी है।

जयेश लेले ने कहा कि 19 अप्रैल तक पहले 756 दिवंगत डॉक्टर्स के परिवारों को बीमा राशि देने के लिए चिह्नित किया गया था, लेकिन उनमें से महज 168 दिवंगत डॉक्टरों के परिवारों को ही यह राशि मिली। सरकार से गुजारिश है कि इन सभी को बीमा का पैसा जल्द से जल्द दिया जाए। साथ ही इस पॉलिसी का एक्सटेंशन किया जाए।’

खबरों के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा मॉडर्न मेडिसिन में काम करने वाले डॉक्टर्स सहित अन्य मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने वाले डॉक्टर्स को 30 मार्च 2020 को मौत होने पर 50 लाख बीमा राशि देने की घोषणा की थी। शुरुआत में यह 90 दिनों के लिए थी, लेकिन बाद में तीन बार इस योजना का एक्सटेंशन हुआ और 24 मार्च तक यह योजना चलाई गई। यह योजना 1.7 लाख करोड़ कोविड राहत पैकेज का हिस्सा थी। बता दें, इस योजना में 22 लाख हेल्थकेयर वर्कर्स कवर किया गया था। इनमें पब्लिक और प्राइवेट सभी हेल्थ सेंटर्स के हेल्थ वर्कर, डॉक्टर, आशा वर्कर, पैरामेडिकल, टेक्नीशियन, डॉक्टर्स, सफाई कर्मचारी, नर्सेज और वार्ड ब्वॉयज भी इसमें शामिल थे।

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