सीबीआई (CBI) यानी केंद्रीय जांच ब्यूरो ने पश्चिम बंगाल में नारदा घोटाले में में जांच की गति एक बार फिर तेज कर दी है। इस सिलसिले में सीबीआई ने कई जगह छापे मारे। केंद्रीय जांच एजेंसी ने  ममता सरकार के मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी सहित चार मंत्रियों को गिरफ्तार कर लिया।

राज्य के मुख्य सूचना अधिकारी आरसी जोशी ने बताया कि सीबीआई ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन से संबंधित मामले में पश्चिम बंगाल सरकार के चार तत्कालीन मंत्रियों (फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और सोवन चटर्जी) को गिरफ्तार किया है। सीबीआई ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले में 16 अप्रैल, 2017 को केस दर्ज किया था।

वहीं राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने मंत्रियों का समर्थन करने के लिए सीबीआई दफ्तर पहुंची हैं। सीबीआई दफ्तर में मौजूद वकील अनिंदो राउत ने कहा, “मैंने सीएम ममता बनर्जी को अधिकारियों से यह कहते सुना है कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि स्पीकर और राज्य सरकार की अनुमति के बिना आप किसी भी मंत्री को ऐसे गिरफ्तार करें। अगर आप मेरे अधिकारियों को गिरफ्तार करते हैं तो आपको मुझे (ममता) गिरफ्तार करना होगा।”

वहीं ममता के सीबीआई दफ्तर पहुंचने के बाद तृणमूल कार्यकर्ता भी वहां जमा हो गए और यहां पर पथराव किया। प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।

सीबीआई टीम सोमवार सुबह ही फिरहाद हकीम के घर पहुंची थी। यहां पर थोड़ी देर की तलाशी के बाद फिरदान को सीबीआई अधिकारी अपने साथ ले गए। इस दौरान फिरहाद ने कहा कि मुझे नारदा घोटाले में गिरफ्तार किया जा रहा है। इसके बाद सीबीआई  सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा को भी लेकर दफ्तर पहुंची। सीबीआई ने बीजेपी के पूर्व नेता सोवन चटर्जी के घर पर भी छापेमारी की गई।

पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर सीआरपीएफ जवानों, सीबीआई कर्मचारियों और बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमले की खबरे हैं। उधर, बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने राज्य में फैल रही हिंसा को लेकर ममता बनर्जी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है।साथ ही  इसकी कॉपी राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भी भेजी गई है।

वहीं राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि टीवी  चैनलों के जरिए पता चला कि तृणमूल समर्थकों ने कोलकाता में सीबीआई दफ्तर पर पथराव किया है। इसके बावजूद कोलकाता पुलिस और बंगाल पुलिस का मूकदर्शक बनकर देखते रहना शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि ममता सरकार संविधान के मुताबिक काम करे और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाए।

आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में 2016 में विधानसभा चुनाव से नरादा न्यूज पोर्टल ने एक टेप जारी किए गए थे, जिसे 2014 में रिकॉर्ड किए जाने का दावा किया गया था। इस टेप के हवाले से तृणमूल के मंत्री और, सांसद और विधायकों को डमी कंपनियों से कैश लेने का आरोप लगाया गया था। बाद में यह मामला कलकत्ता हाईकोर्ट में ये मामला पहुंचा था और 2017 में कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच के जांच के आदेश दिए थे।

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