Punjab and Haryana High Court

देश में कोरोना संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसे में ऑक्सीजन संकट खड़ा हो गया है. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को ऑक्सीजन आवंटन नीति पर फटकार लगाते हुआ कहा है कि सरकार पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के साथ सौतेला व्यवहार न करे. हाईकोर्ट ने कहा है हालात बहुत खराब हो रहे हैं और केंद्र सरकार को अपनी ऑक्सीजन आवंटन नीति पर दोबारा विचार करना चाहिए. यह निर्देश हाईकोर्ट की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए दिए हैं.

जस्टिस राजन गुप्ता एवं जस्टिस करमजीत सिंह की खंडपीठ ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के मरीजों के परिजनों को ऑक्सीजन की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है और दूसरे राज्यों से ऑक्सीजन का बंदोबस्त करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन का प्रबंध करने के लिए मरीजों के परिजनों को समय चाहिए होता है क्योंकि इसकी ट्रांसपोटेशन सड़क या रेल मार्ग से हो सकती है इसलिए केंद्र सरकार को ऑक्सीजन की आवंटन नीति पर विचार करना चाहिए.

हाईकोर्ट ने कहा कि महामारी के दौरान पैसा कमाने के चक्कर में कुछ लोग मानवता के दुश्मन बने हुए हैं. ऐसे लोगों से सरकार को सख्ती से निपटना चाहिए. जो लोग निवार्स्थ दिन-रात कोरोना के मरीजों की सहायता कर रहे हैं उनकी सराहना भी की जानी चाहिए. हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और केंद्र सरकार को मानवता के दुश्मनों से निपटने के लिए खुली छूट देने के भी निर्देश दिए हैं.

गौरतलब है कि पंजाब सरकार रोजाना 195 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए बीते माह से केंद्र सरकार को लगातार पत्र लिख रही है. जबकि हरियाणा सरकार का कहना है कि उनके पानीपत प्लांट की ऑक्सीजन की क्षमता ही 260 मीट्रिक टन है. लेकिन उनके ही राज्य के इस प्लांट से उन्हें ही पूरी ऑक्सीजन नहीं मिल रही है. इस प्लांट से राज्य का कोटा भी कम कर 20 मीट्रिक टन कर दिया गया है.

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