नई दिल्ली
केंद्र सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन का कहना है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर भी आएगी। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह कब आएगी और किस स्तर की होगी, पर हमें नई (तीसरी) लहर के लिए तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नए स्ट्रेन से निपटने के लिए अपग्रेडेशन के लिए कोविड-19 वैक्सीन की नियमित निगरानी की आवश्यकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राघवन ने कहा कि वायरस का अधिक मात्रा में सर्कुलेशन हो रहा है। नए स्ट्रेन पहले स्ट्रेन की तरह फैल रहे हैं। इनमें नई तरह के संक्रमण का गुण नहीं है। इसलिए मौजूदा वेरिएंट्स के खिलाफ वैक्सीन प्रभावी हैं। भारत और दुनिया भर में वैज्ञानिक नए वेरिएंट्स का पूवार्नुमान लगाने और जल्दी चेतावनी और तेजी से संशोधित टूल विकसित करके उनके खिलाफ काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि संसाधनों के बेहतर विकल्प और सरकार की चौतरफा तैयारी के बावजूद ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे हम वहीं खड़े हैं जहां एक साल पहले थे और महामारी हमारी हर तैयारी पर भारी पड़ रही है। हकीकत तो यह है कि अगर हालात से निपटने का हमारा हौसला पुरजोर है, तो दूसरी लहर में कोरोना के कहर में भी पहले से कहीं ज्यादा जोर है। पर यह फासला इतना बड़ा होता जा रहा है कि पिछले साल से इसकी तुलना भी बेमानी लगने लगी है।
पिछले साल 11 सितम्बर को जब कोरोना का पहला पीक आया था, तब एक दिन में सबसे ज्यादा 97 हजार मरीज मिले थे। दूसरी लहर में नये संक्रमितों का दैनिक आंकड़ा चार लाख को पार कर चुका है और कोई ठीक-ठीक अंदाजा नहीं लगा पा रहा है कि इस बार का पीक क्या होगा? सक्रिय मरीजों के मामले में भी कोरोना उस मोड़ पर पहुंच चुका है, जहां पिछली सर्वाधिक संख्या किसी होड़ में नहीं दिख रही है।
देश के कई डॉक्टर और महामारी विशेषज्ञ दूसरी लहर में कोरोना के और खतरनाक हो जाने की आशंका जता रहे थे, लेकिन छह महीनों की अपेक्षाकृत शांति के बाद कोरोना इस तरह ‘तूफान’ बनकर टूटेगा, इसका किसी को अंदाजा नहीं था। हालात ये हो गए हैं कि पिछले साल की पाबंदियां फिर लौट आई हैं और तालाबंदी कई राज्यों की मजबूरी बन गई है। राज्य सरकारें अपने हिसाब से कुछ शहरों में वीकेंड लॉकडाउन, कहीं-कहीं टोटल लॉकडाउन, तो कुछ में नाइट कर्फ्यू लगा रही हैं