Pariksha Pe Charcha

बोर्ड की परीक्षाओं का वक्त आ रहा है. गत वर्षों की तरह, इस साल भी पीएम मोदी ने ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम संबोधित किया. इस दौरान छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि परीक्षा कोई आखिरी पड़ाव नहीं है. उन्होंने कहा- ‘आपको डर एग्जाम का नहीं है. आपको डर किसी और का है और वो क्या है? आपको आसपास एक माहौल बना दिया है कि यही एग्जाम सबकुछ है, यही जिंदगी है. और हम यह आवश्यकता से अधिक ओवर कंसियस हो जाते हैं. हम थोड़ा ज्यादा सोचने लग जाते हैं. इसलिए मैं समझता हूं कि जिंदगी में ये कोई आखिरी मुकाम नहीं है.’

पीएम मोदी ने कहा- “ये जिंदगी बहुत लंबी है, बहुत पड़ाव आते हैं. परीक्षा एक छोटा सा पड़ाव है. हमें दबाव नहीं बनाना चाहिए, चाहे टीचर हो, स्टूडेंट हो, परिवारजन हो, यार दोस्त हो. अगर बाहर का दबाव कम हो गया, खत्म हो गया, तो एग्जाम का दबाव कभी महसूस नहीं होगा, कॉन्फिडेंस फलेगा-फूलेगा, प्रेशर रिलीज होगा, कम हो जाएगा.”

पीएम मोदी ने कहा कि खाली समय को खाली मत समझिए, ये खजाना है. खाली समय एक सौभाग्य है, खाली समय एक अवसर है. आपकी दिनचर्या में खाली समय के पल होने ही चाहिए, वरना तो जिंदगी एक रोबोट जैसी हो जाती है. जब आप खाली समय में अर्न करते हैं तो आपको उसकी सबसे ज्यादा वैल्यू पता चलती है. इसलिए आपकी लाइफ ऐसी होनी चाहिए जब आप खाली समय अर्न करें तो वो आपको असीम आनंद दे. पीएम मोदी ने कहा कि यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि खाली समय में किन चीजों से बचना चाहिए, नहीं तो वो ही चीज सारा समय खा जाएगी. पता भी नहीं चलेगा और अंत में रिफ्रेश-रिलैक्स होने की बजाय आप तंग आ जाएंगे, थकान महसूस करने लगेंगे.

कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा- हमारे यहां परीक्षा के लिए एक शब्द है-कसौटी. मतलब, खुद को कसना है. ऐसा नहीं है एग्जाम आखिरी मौका है बल्कि एग्जाम तो एक प्रकार से एक लबी जिंदगी जीने के लिए अपने आपको कसने का एक उत्तम अवसर है. एक अवसर है. समस्या तब आती है जब एग्जाम को ही जैसे जीवन के सपनों का अंत मान लेत हैं. जीवन मरण का प्रश्न बना देते हैं. दरअसल एग्जाम जीवन को गढ़ने का एक अवसर है. वास्तव में हमे अपने आप को एक कसौटी पर कसने के मौके खोजते ही रहना चाहिए. ताकि हम और बेहतर कर सकें हमे भागना नहीं चाहिए.

पीएम मोदी ने परीक्षा पर चर्चा करते हुए कहा- “ये परीक्षा पे चर्चा है, लेकिन सिर्फ परीक्षा की ही चर्चा नहीं है. बहुत कुछ बातें हो सकती हैं. एक हल्का-फुल्का माहौल बना है. एक नया आत्मविश्वास पैदा करना है और जैसे आपने घर में बैठकर बातें करते हैं, अपनों के बीच बात करते हैं, यार दोस्तों के साथ बात करते हैं.

मोदी ने आगे कहा- आपने रूबरू न होना, आपके चेहरी की खुशी ना देखना, आपका उमंग और उत्साह ना अनुभव करना, ये अपने आप में मेरे लिए एक बड़ा नुकसान है. लेकिन फिर भी परीक्षा तो है ही है, आप है, मैं हूं, परीक्षा है, तो फिर अच्छा ही है कि हम परीक्षा पर चर्चा लगातार करेंगे और इस साल भी ब्रेक नहीं लेंगे.

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