सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को लोन मोरेटोरियम मामले में बैंकों को ज्यादा और ग्राहकों को थोड़ी राहत दे दी। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मोरेटोरियम की अवधि 31 अगस्त से ज्यादा नहीं बढ़ाई जा सकती, ना ही मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी बैंक ने ब्याज पर ब्याज वसूला है, तो उसे वह लौटाना होगा।

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकार को आर्थिक फैसले लेने का अधिकार है, क्योंकि महामारी के चलते सरकार को भी भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। हम सरकार को पॉलिसी के मामले में निर्देश नहीं दे सकते है।

आपको बता दें कि आरबीआई (RBI) भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले साल एक मार्च से 31 मई तक कर्ज देने वाली कंपनियों को मोरेटोरियम देने की बात कही थी, जिसे 31 अगस्त तक बढ़ाया भी गया। जस्टिस भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने बैंकों को भी बड़ी राहत दी है। अब बैंक डीफॉल्ट खातों को एनपीए (NPA) घोषित कर सकते हैं। पिछले साल कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।

अब आपको बताते हैं कि विवाद क्या है। दरअसल बड़ी संख्या में लोगों ने 2020 में मार्च-अगस्त के दौरान मोरेटोरियम योजना का लाभ लिया, लेकिन उनकी शिकायत थी कि अब बैंक बकाया राशि पर ब्याज के ऊपर ब्याज लगा रहे हैं। यह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से पूछा था कि स्थगित ईएमआई (EMI) पर अतिरिक्त ब्याज क्यों लिया जा रहा है। इसके जवाब में सरकार ने कहा था कि दो  करोड़ रुपए तक के कर्ज के लिए बकाया किश्तों के लिए ब्याज पर ब्याज नहीं लगाया जाएगा।

सरकार के प्रस्ताव में एमएसएमई (MSME) लोन, एजुकेशन लोन, होम लोन, क्रेडिट कार्ड बकाया, कार-टू व्हीलर लोन और पर्सनल लोन शामिल हैं। इसका पूरा भार सरकार वहन करेगी। इसके सरकार ने करीब सात हजार करोड़ रुपए खर्च किए।

अब आइए आपको बताते हैं कि लोन मोरेटोरियम क्या है? मोरेटोरियम का मतलब होता है आप अगर किसी चीज का भुगतान कर रहे हैं तो उसे एक निश्चित समय के लिए रोक दिया जाएगा। उदाहरण के तौर पर यदि आपने कोई लोन लिया है तो उसकी ईएआई को कुछ महीनों के लिए रोक सकते हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आपकी ईएमआई माफ कर दी गई है।

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