madras hingh court

तिरंगा को लेकर मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि तिरंगे और अशोक चक्र वाला केक काटना राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है. इस हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि अशोक चक्र के साथ तिरंगे की डिजाइन वाले केक को काटना तिरंगे का अपमान नहीं है, ना ही यह देशभक्ति के खिलाफ है. तमिलनाडु के कोंयबटूर के एक मामले में संदर्भ में हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है, जिसमें जिला कलेक्‍टर समेत कई अधिकारी और नेता का नाम है.

इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने इस केस को राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम 1971 का उल्लंघन मानने से भी इनकार कर दिया. कोर्ट के इस आदेश के बाद कोंयबटूर जिले के कई अधिकारियों को बड़ी राहत मिली है.

दरअसल, यह मामला लगभग सात साल पुराना है. वर्ष 2013 की 25 दिसंबर (क्रिसमस डे) के दिन तमिलनाडु के कोंयबटूर में अशोक चक्र के साथ तिरंग की डिजाइन वाले लगभग 6*5 फीट का केक काटा गया था. इस आयोजन में यहां के जिला कलेक्‍टर, डिप्‍टी पुलिस कमिश्‍नर समेत कई धार्मिक नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे.

इस आयोजन की फोटो वायरल होने के बाद यह मामला काफी चर्चा में आया था. इस मामले को लेकर डी सेंथीकुमार नाम के शख्‍स ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसे राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम 1971 कानून का उल्‍लंघन बताया था. बता दें कि इस कार्यक्रम में 2000 से ज्‍यादा लोग शामिल हुए थे.

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