आज 12 मार्च यानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह की 91वीं वर्षगांठ है। केंद्र सरकार ने आज से 15 अगस्त 2022 तक यानी देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मनाने की घोषणा की है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में अमृत महोत्सव की शुरुआत करते हुए इसकी वेबसाइट लॉन्च की। साथ ही उन्होंने दांडी मार्च यात्रा को भी हरी झंडी दिखाई। इस मार्च में शामिल 81 लोग 386 किलोमीटर की पदयात्रा कर पांच अप्रैल को दांडी पहुंचेंगे।
इस मौके पर मोदी ने अपने संबोधन में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, महात्मा गांधी का विदेश से लौटना, लोकमान्य का पूर्ण स्वराज्य का आह्वान, नेता जी का आजाद हिंद फौज का नारा दिल्ली चलो कोई नहीं भूल सकता। ऐसे कितने ही सेनानी हैं जिनके प्रति देश हर रोज कृतज्ञता व्यक्त करता है। अंग्रेजों के सामने गर्जना करने वाली रानी लक्ष्मी बाई हो, पंडित नेहरू हों, सरदार पटेल हों, ऐसे अनगिनत जननायक आजादी के आंदोलन के पथ प्रदर्शक रहे।“
आइए एक नजर डालते हैं पीएम मोदी के संबोधन की प्रमुख बातों परः-
- पीएम मोदी ने कहा कि हमारे यहां नमक को कभी उसकी कीमत से नहीं आंका गया। नमक का मतलब है ईमानदारी, विश्वास, वफादारी है। हम आज भी कहते हैं कि हमने देश का नमक खाया है। ऐसा इसलिए क्योंकि नमक हमारे यहां श्रम और समानता का प्रतीक है। यह उस समय भी भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक था।
- उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने जब भारत की इस आत्मनिर्भरता पर भी चोट की, तो गांधी जी ने देश के पुराने दर्द को समझा। जन-जन से जुड़ी उस नब्ज को पकड़ा और देखते ही देखते यह संग्राम हर एक भारतीय का संकल्प बन गया।
- उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि भारत की आजादी की लड़ाई सिर्फ ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध नहीं, वैश्विक साम्राज्य के विरुद्ध है। इसके बाद बहुत ही कम समय में साम्राज्यवाद का दायरा सिमट गया।
- उन्होंने कहा कि कोरानाकाल में यह प्रत्यक्ष सिद्ध भी हो रहा है। वैक्सीन निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता का पूरी दुनिया को लाभ मिल रहा है। हमने किसी को दुख नहीं दिया, लेकिन दूसरों का दुख दूर करने में खुद को खपा रहे हैं। यह भारत का सास्वत दर्शन है।
- पीएम ने कहा कि स्कूलों तथा कॉलेजों से आग्रह करूंगा कि वे 75 घटनाएं तलाशें कि कौन लोग थे जो लड़ाई लड़ रहे थे। जिनका इंटरेस्ट नाटक में है वे नाटक लिखें। शुरू में यह सब हस्तलिखित हो, फिर डिजिटल करें।
- उन्होंने कहा कि कला जगत और फिल्म जगत से भी आग्रह करूंगा कि कितनी ही आजादी की कहानियां बिखरी पड़ी हैं उन्हें हमारी आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं। मुझे विश्वास है कि 130 करोड़ देशवासी इस महोत्सव से जुड़ेंगे तो भारत बड़े से बड़े लक्ष्य को हासिल करके रहेगा।
- उन्होंने फ्रीडम स्ट्रगल (Freedom Struggle), आइडियाज एट 75 एचिवमेंट्स एट 75 (Ideas at 75 Achievements at 75), एक्शन एट 75 (Actions at 75) और रिसोल्व एट 75 (Resolves at 75) को आजादी के पांच स्तम्भ करार दिया और कहा कि ये स्तंभ आजाद भारत के सपनों और कर्तव्यों को देश के सामने रखकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगे।
- पीएम ने कहा कि किसी राष्ट्र का भविष्य तभी उज्जवल होता है जब वह अपने अतीत के अनुभवों और विरासत के गर्भ से पल-पल जुड़ा रहता है। भारत के पास तो गर्व करने के लिए अथाह भंडार है। चेतनामय सांस्कृतिक विरासत है। यह अवसर अमृत के रूप में वर्तमान पीढ़ी को प्राप्त होगा।
- उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव यानी आजादी की ऊर्जा का अमृत। स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अवसर, नई ऊर्जाओं और संकल्पों का उत्सव। यह राष्ट्र के जागरण का उत्सव है। वैश्विक शांति को बनाए रखने का महोत्सव है। आज एक यात्रा भी शुरू होने जा रही है। गांधी जी की डांडी यात्रा ने भारत के नजरिए को पूरी दुनिया तक पहुंचा दिया।
2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे हो जाएंगे। इसी क्रम में 75 हफ्ते पहले शुक्रवार से अमृत महोत्सव शुरू हो रहा है। इसके तहत 15 अगस्त 2022 तक देश के 75 स्थानों पर विभिन्न प्रकार के आयोजन होंगे। इसमें युवा पीढ़ी को 1857 से 1947 के बीच चले स्वतंत्रता संग्राम की जानकारी देने, आजादी के 75 वर्ष में देश के विकास और आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक विश्वगुरु भारत की तस्वीर दिखाई जाएगी। सरकार ने इसके लिए गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया है।
देश की आजादी में नमक सत्याग्रह या दांडी मार्च महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए इस आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत को हिलाकर रख दिया था। महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को 78 सत्याग्रहियों के साथ अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नवसारी जिले के दांडी गांव के लिए पैदल कूच किया था। इस पद यात्रा में रास्ते में दो सत्याग्रही और शामिल हो गए थे।
गांधीजी ने अंग्रेजों के नमक कानून के विरोध में दांडी मार्च कर 6 अप्रैल 1930 को सांकेतिक रूप से नमक बनाकर अंग्रेजी कानून को तोड़ा था, जिसके बाद सत्याग्रहियों के साथ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।