उत्तराखंड में गत चार दिनों तक चले सियासी ड्रामे का पटाक्षेप हो गया है। पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद एवं आरएसएस के प्रांत प्रचारक रहे तीरथ सिंह रावत ने बुधवार को राज्य के 10वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। राज्य की राज्यबाल बेनी रानी मौर्य तीरथल सिंह रावत को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
देहरादून में हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में बुधवार को उनके नाम मुहर लगी। इससे एक दिन पहले यानी मंगलवार को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक दिन पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। आज हुई विधायक दल की बैठक में देने वाले त्रिवेंद्र सिंह ने ही तीरथ सिंह के नाम का प्रस्ताव रखा, जिस पर पार्टी के विधायकों ने सहमति व्यक्त कर दी।
तीरथ सिंह रावत ने विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद कहा कि मैं केंद्रीय नेतृत्व का धन्यवाद करना चाहूंगा, जिन्होंने मुझे यह जिम्मेदारी सौंपी है। मैं गांव से आया हुआ एक छोटा सा कार्यकर्ता हूं। मैंने इसकी कभी कल्पना भी नहीं की थी। उन्होंने कहा कि मैं जनता के विश्वास पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा।
तीरथ सिंह ने कहा कि वह संघ के लिए काम करते थे। कभी भी राजनीति में आने का नहीं सोचा था। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी से प्रेरणा लेकर वे आगे बढ़े। आइए एन नजर डालते हैं तीरत सिंह रावत के राजनीतिक सफर परः-
- 9 फरवरी 2013 से 31 दिसंबर 2015 तक तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं। 2012 से 2017 तक चौबटखल विधानसभा सीट से विधायक रहे। मौजूदा समय में बीजेपी का राष्ट्रीय सचिव हैं। 9 अप्रैल 1964 को पौड़ी गढ़वाल जिला में जन्मे तीरथ सिंह उत्तरप्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। साथ ही वह 1997 में यूपी से विधायक भी रह चुके है। तीरथ सिंह उत्तराखंड के पहले शिक्षामंत्री रहे हैं। मोजूदा समय में वह पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद हैं।
- 1983 से 1988 तक तीरथ सिंह रावत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक भी रहे हैं। इसके अलावा वह एबीवीपी (उत्तराखण्ड) के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री भी रहे। उन्होंने समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर और पत्रकारिता में डिप्लोमा हासिल किया है। साथ ही तीरथ हेमवती नंदन गढ़वाल यूनिवर्सिटी में छात्र संघ अध्यक्ष और छात्र संघ मोर्चा (उत्तर प्रदेश) में प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे हैं।