दिल्ली की केजरीवा सरकार ने ‘दिल्ली बजट 2021-22’ पेश किया. डिप्टी सीएम और वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया ने बजट पेश करते हुए कहा कि मैं 2021-22 के लिए 69,000 करोड़ रुपये का बजट पेश कर रहा हूं. ये 2014-15 में 30,940 करोड़ रुपये की बजट राशि से दोगुने से ज्यादा है. बजट पेश होने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पर विस्तार से बताया.
बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम केजरीवाल ने कहा कि पिछले 1 साल में देश दुनिया में महामारी के चलते कठिन परिस्थितियां उत्पन्न पैदा हुईं. सालभर खर्चे ज़्यादा रहे और आमदनी कम थी. पिछले साल के मुकाबले बजट में 6 फीसदी बढोतरी हुई है. सीएम ने कहा कि दिल्ली के लोगों का धन्यवाद कि ऐसी परिस्थितियों के बाद भी वे टैक्स देते रहे. उन्होंने कहा कि इस बजट में विजन दिया गया है कि 2048 का ओलंपिक खेल दिल्ली में होना चाहिए. 2048 के ओलंपिक खेल के लिए दिल्ली आवेदन करेगा. इसके लिए जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य ज़रूरत की चीज़ें करनी होगी हम करेंगे.
सीएम केजरीवाल ने कहा कि अगले साल भी फ्री बिजली, पानी और ट्रांसपोर्ट जारी रहेगा. हमारी सरकार में अभी तक बजट में घाटा नहीं हुआ, ये सरप्लस बजट है. 55 फीसदी बजट योजनाओं और जनता के ऊपर खर्च किया जा रहा है. अनुमानित लागत 45 फीसदी है. CAG ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली अकेला राज्य है जहां सरकार घाटे का नहीं बल्कि सरप्लस में बजट करती है.
सीएम केजरीवाल ने पेट्रोल डीजल के बढ़ते दाम पर कहा कि केंद्र सरकार अगर पहल करे तो पेट्रोल-डीजल के दाम से राहत मिल सकती है. पेट्रोल डीजल को GST में शामिल करना चाहिए. सीएम केजरीवाल ने फ्री वैक्सीनेशन को लेकर कहा कि लोगों को तय करना है कि उनको वैक्सीन कहां लगवानी है, प्राइवेट और सरकारी अस्पताल में जाने के लिए लोग फ्री हैं. दिल्ली के हर नागरिक को एक हेल्थ कार्ड जारी किया जाएगा और इसके साथ दिल्ली में ऑनलाइन हेल्थ इन्फॉर्मेशन सिस्टम स्थापित किया जाएगा.
केजरीवाल ने कहा कि जब हम तिरंगे की तरफ देखते हैं तो देशप्रेम की भावना आती है, कनॉट प्लेस जैसे 500 झंडे दिल्ली में लगेंगे. शिक्षा को जनांदोलन बनाया जाएगा. योग और ध्यान को जनांदोलन बनाया जाएगा. योग को इवेंट के रूप में नहीं, जिंदगी के हिस्से के रूप में विकसित किया जाएगा. वहीं बजट पेश करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार का प्रति व्यय 2015-16 के 19,218 रुपये से बढ़कर इस साल 33,173 रुपये होने की उम्मीद है. हमारा लक्ष्य है कि साल 2047 तक दिल्ली के नागरिक की प्रति व्यक्ति आय सिंगापुर में बैठे नागरिक के प्रति व्यक्ति आय के बराबर हो जाए.