कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार चर्चा में इसलिए हैं क्योंकि अपनी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा लगाए गए आपात काल पर बड़ा बयान दिया है. राहुल गांधी ने इंदिरा द्वारा लगाई गई इमरजेंसी को गलत बताया है. उन्होंने कार्नेल यूनिवर्सिटी के एक ऑनलाइन कार्यक्रम में शिरकत की, जिसमें उनके साथ सैम पित्रोदा, प्रोफेसर कौशिक बसु भी थे. राहुल गांधी ने इस कार्यक्रम में बीजेपी और आरएसएस पर जमकर निशाना साधा.

कांग्रेस नेता ने कहा कि इमरजेंसी गलत थी, लेकिन जो अभी हो रहा है और जो उस समय हो रहा था, दोनों में काफी बड़ा फर्क है. कांग्रेस पार्टी ने कभी भी भारत के संवैधानिक ढांचे को हथियाने की कोशिश नहीं की. पार्टी का डिजाइन इसकी अनुमति नहीं देता है. अगर हम चाहें भी तो ऐसा नहीं कर सकते हैं.

आरएसएस पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने कहा, ”आरएसएस जो कर रहा है, वह मौलिक रूप से कुछ अलग है. वह अपने लोगों से संस्थानों को भर रहा है. यहां तक कि अगर हम चुनाव में बीजेपी को हराते हैं, तो हम संस्थागत ढांचे में उनके लोगों से छुटकारा पाने के लिए अपने लोगों की भर्ती नहीं करेंगे.”

कार्यक्रम में राहुल गांधी ने आंतरिक लोकतंत्र पर कहा कि मैं पहला व्यक्ति हूं जिसने युवा संगठन और स्टूडेंट संगठन में चुनाव कराए, लेकिन मुझ पर मेरे ही पार्टी के लोगों ने हमला किया. उन्होंने कहा कि मैं पहला व्यक्ति हूं जो कहता है कि पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक चुनाव बहुत अहम है, लेकिन मेरे लिए यह दिलचस्प है कि यह सवाल किसी और पार्टी के बारे में नहीं पूछा जाता. कोई नहीं पूछता कि क्यों बीजेपी, बीएसपी और समाजवादी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है.

राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि हमें संसद में बोलने की अनुमति नहीं है. न्यायपालिका से उम्मीद नहीं है. आरएसएस-बीजेपी के पास बेतहाशा आर्थिक ताकत है और व्यवसायों को विपक्ष के पक्ष में खड़े होने की इजाजत नहीं है. लोकतांत्रिक अवधारणा पर यह सोचा-समझा हमला है. उन्होंने कहा, ”आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं इसलिए प्रभावी हैं, क्योंकि उनके पास स्वतंत्र संस्थाएं हैं लेकिन, भारत में उस स्वतंत्रता पर हमला किया जा रहा है.”

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