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उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति  एम. वेंकैया नायडू  ने  तृणमूल कांग्रेस के सांसद  दिनेश त्रिवेदी का  सदन की सदस्यता से इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।
राज्यसभा सचिवालय से जुड़े सोमवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया  कि सभापति ने त्रिवेदी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। त्रिवेदी ने 12 फरवरी को सदन में केंद्रीय बजट 2021- 22 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए सदन की सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा की थी। उन्होंने उसी दिन अपना इस्तीफा दे दिया था।

अटकले लगाई जा रही है कि त्रिवेदी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। बता दें कि दिनेश त्रिवेदी यूपीए सरकार में रेल मंत्री रह चुके हैं। पिछले साल अप्रैल महीने में उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण की थी। त्रिवेदी ने 1980 में कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन की थी। इसके बाद उन्होंने 1990 में जनता दल का दामन थाम लिया था। 1998 में जब ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस का गठन की तो त्रिवेदी भी उनके साथ खड़े थे।

शुभेंदु अधिकारी और राजीव बनर्जी जैसे मंत्रियों का साथ छोड़ने पर तृणमूल में उभरे जख्म को भरने में अभी ममता बनर्जी लगी ही हुईं थी कि दिनेश त्रिवेदी ने मानों उनके सिर पर ही बम फोड़ दिया। हालांकि खुद को बरगलाते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेंदु एस रॉय ने कहा, ‘तृणमूल का मतलब है जमीनी स्तर। इससे हमें राज्यसभा में जल्द ही जमीनी स्तर के कार्यकर्ता को भेजने का अवसर मिलेगा।’ लेकिन टीएससी के ही दूसरे सांसद सौगत राय ने कहा कि दिनेश त्रिवेदी के इस्तीफे से हम दुखी हैं। उन्होंने फैसला करने से पहले मुझसे बात नहीं की। हमें नहीं पता कि उन्होंने यह निर्णय क्यों लिया।

बहरहाल, इस्तीफा देते वक्त उन्होंने कहा कि घुटन महसूस हो रही है। देश हित से ऊपर कुछ नहीं है। पार्टी हित और देश हित में से एक (देश हित) को चुनने का वक्त आ गया है। लिहाजा, मैं कड़ा फैसला लेने के लिए मजबूर हो रहा हूं। जिस प्रकार से पश्चिम बंगाल में हिंसा हो रही है। मुझे घुटन महसूस होती है कि मैं कुछ कर नहीं पा रहा हूं। आज मुझे आत्मा यह कह रही है कि यहां बैठ-बैठे अगर आप चुपचाप रहो और कुछ नहीं कर सकते हो तो इस्तीफा दो। मैं यहां से आज इस्तीफा दे रहा हूं।”

 

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