चिराग के घर में ‘चिंगारी’…नीतीश से मिलने पहुंचे उनके एक सांसद, चर्चा तेज

0
190

पटना. लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान करीब-करीब रोज ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सियासी हमले कर रहे हैं। इसी बीच उनके खेमे के एक सांसद ने मुख्यमंत्री नीतीश से मुलाकात की। इनका नाम है चंदन सिंह। वे नवादा से सांसद हैं। इस तस्वीर के बाद राजनीतिक हवा तेज हो गई। चर्चा है कि चिराग के संसदीय किले में सेंध लग गई है। हालांकि सफाई दी जा रही है कि नवादा सांसद चंदन सिंह विकास के मुद्दों को लेकर सीएम नीतीश कुमार से मिलने गए थे। पार्टी के प्रवक्ता और चिराग पासवान के करीबी नेता अशरफ अंसारी के मुताबिक, इस मुलाकात को लेकर लगाए जा रहे सारे कयास गलत हैं। चंदन सिंह नवादा के सांसद हैं और ऐसे में अगर एक सांसद विकास के मुद्दों को लेकर राज्य के मुखिया से मुलाकात करता है तो इसमें कुछ गलत नहीं है। अशरफ अंसारी के मुताबिक ये मुलाकात कोई आश्चर्यजनक घटना नहीं है।

दूसरी तरफ, रविवार को जहानाबाद जिले शकुराबाद के बसन्तपुर गांव में एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे चिराग पासवालन को मीडियाकर्मियों ने घेर लिया। मौके की नजाकत को भांप चिराग भी शुरू हो गए। जुमला पुराना, कानून व्यवस्था ठीक नहीं। अपराधी बेलगाम होकर घटना को अंजाम दे रहे हैं और सरकार घटनाओं को रोक नहीं पा रही है। रूपेश हत्याकांड पर जमुई के सांसद चिराग ने कहा कि पुलिस इस घटना को रोडरेज बताकर बड़े लोगों को बचाने का काम कर रही है, ऐसा पीड़ित परिवार ने भी कहा है। पीड़ित परिवार भी न्याय के लिए घटना की CBI से जांच कराने की मांग कर रहा है, मैं भी सरकार से इस घटना की सीबीआई जांच कराने की मांग करता हूं ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।

चिराग पासवान मुखर रहे हैं, लेकिन शिखर बहुत दूर है। वैसे देखा जाए तो 2014 में चिराग ने अपने राजनीतिक जीवन का सबसे सफल दांव खेला था, जिसके बाद से उन्हें राजनीतिक जीवन में बेहतरीन शुरुआत मिली। ये फ़ैसला था अपने पिता यानी राम विलास पासवान को एक बार फिर एनडीए में शामिल होने के लिए मनाना। ये एक ऐसा काम था जो कि राजनीतिक और व्यक्तिगत रूप से भी काफ़ी मुश्किल था, क्योंकि राष्ट्रीय राजनीति में दलितों के लोकप्रिय नेता कहे जाने वाले राम विलास पासवान ने साल 2002 में गुजरात दंगों के बाद एनडीए को छोड़ने का फ़ैसला किया था और राम विलास पासवान की तत्कालीन गुजरात सीएम यानी नरेंद्र मोदी को लेकर राय स्पष्ट थी, लेकिन राम विलास पासवान के इतने मजबूत स्टैंड के बावजूद चिराग अपनी पार्टी को एनडीए की ओर मोड़ने में कामयाब हो गए. इसके बाद एनडीए ने पूरी ताक़त के साथ सत्ता में वापसी की। यही नहीं, चिराग पासवान पहली बार बिहार की जमुई सीट से सांसद भी बने। कुछ ऐसी ही दूरदर्शिता फिर पार्टी की शाख बचा सकती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here