पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग धरने को अपने एक फैसले में गैरकानूनी धरना बताया था. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार करने के लिए चुनौती दी गई थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है.
सर्वोच्च अदालत ने पिछले साल अक्टूबर के महीने में दिए शाहीन बाग फैसले को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धरना प्रदर्शन लोग अपनी मर्जी से और किसी भी जगह नहीं कर सकते. धरना प्रदर्शन लोकतंत्र का हिस्सा है लेकिन उसकी एक सीमा है.
जस्टिस एसके कॉल, अनिरुद्ध बोस और कृष्ण मुरारी की तीन जजों वाली पीठ ने पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा कि विरोध करने का अधिकार हर जगह और किसी भी वक्त नहीं हो सकता. कुछ विरोध प्रदर्शन कभी भी शुरू हो सकते हैं लेकिन लंबे समय तक चलने वाले धरना प्रदर्शनों के लिए किसी ऐसे सार्वजनिक स्थान पर कब्जा नहीं किया जा सकता, जिससे दूसरों के अधिकार प्रभावित हों.
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कनिज फातिमा सहित 12 ऐक्टिविस्ट्स की ओर से दायर उस याच्की याचिका को भी खारिज कर दिया है जिसमें मामले की सुनवाई खुली अदालत में करने के लिए अनुरोध किया गया था.