लोकसभा की कार्रवाई सोमवार को आधी रात तक चली। सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हो रही थी। इस दौरान टीएमसी यानी तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस के संदर्भ में टिप्पणी की जिसे लेकर जमकर हंगामा बरपा। सत्तारूढ़ दल के सांसदों ने उन पर संसदीय नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। हंगामे के बाद महुआ की टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया।

उधर, महुआ मोइत्रा ने पलटवार करते हुए कहा कि सच को कभी हटाया नहीं जा सकता है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “अगर सच बोलने के लिए मेरे खिलाफ विशेषाधिकार हनन लाया जाता है, तो यह वास्तव में मेरे लिए प्रिव्लेज होगा।“

मोइत्रा जिस समय सदन में बोल रही थीं, उस समय सदन की अध्यक्षता कर रहे आरएसपी सांसद एमके प्रेमचंद्रन कर रहे थे। प्रेमचंद्रन ने कहा कि मोइत्रा के बयान यदि आपत्तिजनक हुए तो उन्हें सदन की कार्यवाही से हटा दिया जाएगा। वहीं बीजेपी नेता एवं केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने महुआ की पूर्व चीफ जस्टिस पर की गई टिप्पणी को शर्मनाक बताया। आपको बता दें कि मोइत्रा ने यह टिप्पणी बिना नाम लिए की थी।

सदन में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मोइत्रा ने सरकार पर अपनी बात रखने के लिए नफरत और कट्टरता का सहारा लेने का आरोप लगाया। साथ ही न्यायपालिका और मीडिया पर भी देश को विफल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस समय भारत अघोषित इमर्जेंसी झेल रहा है। उन्होंने सरकार पर छात्रों से लेकर किसानों और शाहीन बाग की बुजुर्ग महिलाओं की आंदोलनकारी आवाज को दबाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा सरकार अपने आवाज उठाने वालों को आतंकवादी करार दे देती है।

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