एनाकोंडा, शेषनाग और अब वासुकी को ट्रैक पर दौड़ाकर रेलवे ने बनाया एक और कीर्तिमान

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नई दिल्ली. एनाकोंडा, शेषनाग और अब वासुकी…भारतीय रेलवे ने नई उपलब्ध हासिल की है। भारतीय रेल ने शेषनाग को चार ट्रेनों को जोड़कर चलाया था। इसके पहले तीन ट्रेनों को जोड़कर एनाकोंडा ट्रेन दौड़ाई थी। अब रायपुर रेल मंडल के भिलाई से बिलासपुर रेलमंडल के कोरबा तक वासुकी को दौड़ाकर भारतीय रेलवे ने अपना लोहा बनवाया है। वासुकी ट्रेन साढ़े तीन किलोमीटर लंबी है और इसे पांच इंजन खींच रहे हैं। पांचों इंजन के तालमेल के लिए इसे इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल से जोड़ा गया है, ताकि बेहतर सामंजस्य बनाकर 295 डिब्बों को पटरी पर दौड़ा सके।

उल्लेखनीय है कि मालगाड़ी के लिए अलग से बनी ट्रैक जिसे डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का नाम दिया गया है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का मतलब ऐसी रेल लाइन से है, जिसका इस्तेमाल सिर्फ मालगाड़ियों के आवागमन के लिए किया जाएगा. देश में ईस्टर्न और वेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर बनाया जा रहा है. इनकी कुल लंबाई 3000 किलोमीटर है. इनका इस्तेमाल सिर्फ मालगाड़ियों के लिए होगा। दावा है कि उस पर डेढ़ किलोमीटर लंबी ट्रेन चलेगी, जबकि इससे आगे बढ़ते हुए रेलवे ने साढ़े तीन किलोमीटर लंबी ट्रेन चलाकर इतिहास रचा है। इस तरह माल गाडिय़ों के परिचालन समय को कम करने, स्टाफ की बचत और उपभोक्ताओं को त्वरित डिलीवरी प्रदान करने के लिए लंबी मालगाड़ियों का परिचालन किया जा रहा है।

हिंदू पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक वासुकी भगवान शिव के परम भक्त थे। माना जाता है कि नाग प्रजाति के लोगों ने ही सबसे पहले शिवलिंग की पूजा का प्रचलन शुरू किया था। नागराज वासुकी को नागलोक का राजा माना गया है। कहते हैं कि समुद्र मंथन के दौरान वासुकी नाग को ही रस्सी के रूप में मेरु पर्वत के चारों ओर लपेटकर मंथन किया गया था

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