राकेश टिकैत के आंसुओं ने किसानों को फिर एकजुट किया, गाजीपुर बॉर्डर पर बढ़ा हुजूम

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गाजीपुर. किसान नेता राकेश टिकैत के समर्थन में आज शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में महापंचायत हो रही है। किसान आंदोलन को देखते हुए गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस फोर्स की तैनाती बढ़ा दी गई है। बॉर्डर पर रैपिड एक्शन फोर्स के जवान तैनात हो गए हैं। ये 4 फरवरी तक तैनात रहेंगे।

किसान आंदोलन के दौरान 26 जनवारी को जो कुछ हुआ उससे देश सन्न है। किसानों के साथ हमदर्दी जताने वाले घृणा जताने लगे। कारण लाल किले के प्राचीर पर धर्म विशेष का ध्वजा फहराया जाना। इसके बाद किसानों का आंदोलन दो फाड़ हो गया। कुछ नेताओं ने आंदोलन से अलग होने की घोषणा कर दी। लगा कि अब किसान आंदोलन खत्म होने ही वाला है, लेकिन….।

ट्रैक्टर परेड में फैली हिंसा के बाद कमजोर पड़ते किसान आंदोलन पर राकेश टिकैट के आंसू भारी पड़े। 28 जनवरी को शाम का वक्त था। दिल्ली-यूपी को जोड़ने वाला ग़ाज़ीपुर बॉर्डर। घिरती शाम के साथ यूपी पुलिस के जवान भी भारी तादाद में जुटने लगे। लाठियों, हथियारों से लैस। ख़बर फैली कि 28-29 जनवरी की दरम्यानी रात ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर कुछ भी हो सकता है, लेकिन अचानक एक ऐसा हुआ, जिसके बाद हालात बदलते नजर आने लगे। ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों के साथ मौजूद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत से पुलिस अधिकारियों ने बात की। फिर राकेश टिकैत मंच पर चढ़े। लगा कि टिकैत अब आत्मसमर्पण करने या आंदोलन ख़त्म करने की घोषणा कर देंगे। लेकिन टिकैत ने कह दिया कि वे आत्मसमर्पण नहीं करेंगे। टिकैत ने कहा, अगर गिरफ़्तारी देनी होगी तो हम शांति से पूरी कार्रवाई के बाद गिरफ़्तारी देंगे।

इधर, पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ती जा रही थी। किसी भी वक़्त लाठीचार्ज होने की आशंका जताई जा रही थी। सस्पेन्स बना हुआ था। अचानक राकेश टिकैत फूट-फूटकर रोने लगे। कहा- मैं आत्महत्या कर लूंगा, लेकिन आंदोलन को ख़त्म नहीं करूंगा। भावुक होते हुए टिकैत ने कहा, यहां अत्याचार हो रहा है, लेकिन हमारा आंदोलन जारी रहेगा। ये कानून वापस होंगे। यदि ये कानून वापस नहीं हुए तो राकेश टिकैत आत्महत्या करेगा। टिकैत ने बड़े आरोप लगाए। कहा कि किसानों को मारने की कोशिश की जा रही है।

स्थानीय बीजेपी विधायकों पर भी आरोप लगाया कि वो 300 लोगों के साथ लाठी-डंडे लेकर आए हैं। टिकैत के इस भावुक बयान के बाद यूपी पुलिस ने अपनी तैयारी समेट ली। पुलिस के वाहनों में लाठी-डंडे वापस भर दिए गए। जवान फिर से गाड़ियों में बैठ गए। और चले गए। बैरंग। बिना किसी कार्रवाई के। टिकैत के आंसुओं को देखकर पश्चिमी यूपी के कई जिलों से किसान ग़ाज़ीपुर बॉर्डर की ओर रात में ही रवाना हो गए। मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव में राकेश टिकैत के घर पर हज़ारों की संख्या में किसान पहुंच गए। राकेश के भाई नरेश टिकैत, जिन्होंने कुछ ही घंटों पहले कहा था कि पुलिस की लाठी खाने से अच्छा है कि धरनास्थल से हट जाना— उन्होंने भी नया सिग्नल दे दिया। कह दिया कि 29 जनवरी को मुज़फ़्फ़रनगर में महापंचायत होगी। नरेश ख़ुद पश्चिमी यूपी की क़द्दावर बालियान खाप पंचायत के नेता भी हैं।

सिंघु बॉर्डर से किसान मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने कहा है कि सरकार जो भी करे हम सिंघु बॉर्डर नहीं छोड़ेंगे। जब तक कानून रद्द नहीं हो जाते और MSP पर नया कानून नहीं बन जाता हम यहां से नहीं जाएंगे।

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