नई दिल्ली. यह पहली बार होगा, जब राफेल का प्रदर्शन सार्वजनिक तौर पर किया जाएगा। जी हां, 26 जनवरी को होने वाली परेड में इस बार राफेल का भी प्रदर्शन किया जाएगा। आपको याद होगा कि फ्रांस से जब राफेल को भारत लाया गया, तब समय की संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार ने इस आयोजन को मीडिया से दूर रखा और अंबाला के कुछ इलाकों में धारा 144 लगाई गई तथा छतों से फोटो खींचने तक पर रोक लगाई गई थी।
भारतीय वायुसेना परेड के दौरान मेक इन इंडिया थीम के तहत अहम लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन करेगी। जानकारी के अनुसार, गणतंत्र दिवस के मौके पर फ्लाईपास्ट के दौरान राफेल ‘वर्टिकल चार्ली’ फॉर्मेशन में उड़ान भरेगा। ‘वर्टिकल चार्ली’ फॉर्मेशन में विमान कम ऊंचाई पर उड़ान भरता है और ऊपर की तरफ जाता है। फिर विमान सबसे ऊंचाई पर जाने से पहले कलाबाजी करता है।
परेड के दौरान कुल 42 विमान फ्लाइट पास्ट का हिस्सा होंगे। इनमें राफेल के अलावा सुखोई-30, मिग-29, जगुआर और कई अन्य विमानों का प्रदर्शन किया जाएगा। चिनूक ट्रांसपोर्ट हेलिकाप्टर, अपाचे कॉम्बैट हेलिकाप्टर सी130 जे ट्रांसपोर्ट विमान भी शामिल होंगे। इस दौरान तेजस, एस्ट्रा मिसाइल और रोहिणी सर्विलांस राडार का भी प्रदर्शन किया जाएग। चिनूक हेलिकाप्टर अमरीका में बना है और साल 2019 में इसे वायुसेना में शामिल किया गया था। भारत के पास 4 चिनूक हेलिकाप्टर हैं।
भारतीय सेनाओं में अत्याधुनिक अस्त्रों-शस्त्रों की आपूर्ति एक सामान्य प्रक्रिया है। मगर भारतीय वायुसेना में 4.5वीं पीढ़ी के अत्याधुनिक विमान राफेल का शामिल होना इस मायने में खास है, क्योंकि भारत चीन के साथ सीमा रक्षा में उलझा हुआ है। देश के सामने बड़ी चुनौती है और दुनिया में फिलहाल इस विमान की टक्कर का कोई दूसरा विमान नहीं है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन फ्रांसिसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने अप्रैल 2015 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा किया था। इनकी कीमत 59 हजार करोड़ रुपए थी। अक्टूबर 2019 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारत का पहला राफेल विमान लाने फ्रांस गए। अभी तक भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों में से आठ मिल चुके हैं।
राफेल की उड़ान ही उसे सबसे ज्यादा मारक बनाती है। 2,130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार उसे दूसरे लड़ाकू विमानों से अलहदा बनाता है। रेडार से बचने की क्षमता और दूर से दुश्मनों पर बाज सी नजर रखते हुए हमला करने में राफेल को महारत हासिल है। राफेल को हवा का सिकंदर कहा जाता है। राफेल के हैमर मिसाइल से लैस होने के कारण भारत को बड़ी बढ़त हासिल हो चुकी है। यह मिसाइल किसी भी प्रकार के बंकर या सख्त सतह को पल में मटियामेट करने की ताकत रखता है। यह किसी भी स्थिति में बेहद उपयोगी है। बेहद कठिन पूर्वी लद्दाख जैसे इलाकों में इसकी मारक क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ती है। इस घातक हथियार की मारक क्षमता बड़ी तगड़ी है। यह 20 किलोमीटर से 70 किलोमीटर की दूरी तक अचूक निशाना लगाने में माहिर है। जिस लड़ाकू विमान से हैमर को फायर किया जाता है वह उसकी मारक दूरी के कारण ही दुश्मन की एयर डिफेंस से बचने में सफल रहता है। क्योंकि दूरी के कारण लड़ाकू विमान दुश्मन के रेडार पर नजर नहीं आता है। राफेल में कई अचूक हथियार लग सकते हैं। 300 किलोमीटर तर मार करने वाली स्कल्प क्रूज मिसाइल इसे सबसे ज्यादा मारक बनाती है। हैमर मिसाइल इसे अजेय बनाते हैं।