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तीन नए केंद्रीय कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 60वां दिन है। कड़ाके की सर्दी तथा कोरोना के संकट के बीच पिछले दो महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि कानून वापस नहीं होंगे।

इस मुद्दे पर सरकार तथा किसानों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकलना है। अब किसान गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड की तैयारियों में जुटे हैं। किसान नेता कानून वापसी की मांग पर अड़े हैं। उनका कहना है कि अब ट्रैक्टर परेड के बाद आगे की स्ट्रैटजी तय करेंगे।

सरकार ने गत बुधवार को हुई बैठक के दौरान किसानों को कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक होल्क करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसानों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इसके बाद शुक्रवार को हुई किसानों ने सरकार को अपना फैसला बताते हुए कहा कि कानून वापस होने चाहिए। इसके जवाब में सरकार ने कहा कि हमारे प्रपोजल पर आप फैसला नहीं ले सके। जब फैसला कर लें तो बता दीजिएगा, बात कर लेंगे।सरकार ने कहा कि अब हम मीटिंग की कोई तारीख नहीं दे रहे हैं। यानी सरकार के प्रस्ताव पर जब तक किसान फैसला नहीं ले लेते, तब तक कोई बैठक नहीं होगी।

इसके बाद सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए शनिवार को किसान नेताओं ने मैराथन बैठकें कीं, लेकिन इस मुद्दे पर किसानों के बीच एक राय नहीं बन पाई। भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह चंढूनी ने कहा, ‘’ हमारी मांग आंदोलन की शुरुआत से ही साफ है। हम तीनों कानूनों की वापसी चाहते हैं। हम इससे कम पर कोई समझौता नहीं करेंगे।“

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