कोलकाता. कोलकाता में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, ”एक समय कोलकाता देश की राजधानी थी, तो एक बार फिर से शहर को भारत की दूसरी राजधानी के रूप में घोषित नहीं किया जाना चाहिए? कोलकाता को देश की दूसरी राजधानी बनानी ही होगी। यह मुद्दा संसद में उठाने का निर्देश देते हुए कहा,’आखिर एक राजधानी क्यों होनी चाहिए। देश के हर कोने में एक राजधानी होनी चाहिए और कुल चार राजधानी हों। संसद का सत्र सभी राजधानी में आयोजित किया जाए। उन्होंने कहा कि संसद का सत्र सिर्फ दिल्ली में क्यों होता है, जबकि वहां तो ज्यादातर आउटसाइडर्स हैं।
याद हो कि 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर बीजेपी ने जैसे ही पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया, ममता बनर्जी पदयात्रा पर चल पड़ीं। सुभाष चंद्र बोस को देश का नायक का दर्जा दिए जाने की मांग कर डाली। अब उन्होंने यह अजीबोगरीब बयान दिया है। उनका कहना है कि भारत में 4 राजधानियां होनी चाहिए, और उनका रोटेशन होता रहे। बंगाल को और यहां की भावनाओं को बाहर के लोग नहीं समझ सकते हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए केंद्र सरकार से 23 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की भी अपील की।
जानकार मानते हैं कि एक तरह से उन्होंने बीजेपी और केंद्र सरकार पर तंज कसा है, जो एक देश, एक नेता, एक राशन कार्ड और एक पार्टी पर बल देती दिख रही है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने यह बयान उस समय दिया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेताजी की जयंती को मनाने कोलकाता के दौरे पर हैं।
दरअसल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी। उनका लक्ष्य एक ही था-आजाद भारत और अब नेताजी के बहाने राजनीतिक दल लड़ाई लड़ रहे हैं और उनका लक्ष्य है-वर्चस्व। वर्चस्व की इस लड़ाई में कोई पीछे नहीं रहना चाहता। चूंकि पश्चिम बंगाल में चुनाव है, इसलिए आखाड़ा वही बना हुआ है। भाजपा बंगाल को लोगों के बीच अपनत्व बढ़ाने की कोशिश कर रही है, इसलिए सभी स्थानीय मुद्दों को भावनात्मक रंग दे रही है और ममता बनर्जी पूरा जोर लगा रही हैं कि स्थानीय उनसे छिटकने न पाएं।