संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति ने भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी को निलंबित कर दिया गया था लेकिन अब उनके पर स्पष्टीकरण से संतुष्ट होकर उनका निलंबन वापस ले लिए गया है। चढ़ूनी पर राजनीतिक दलों से सांठगांठ करने का आरोप लगा था।
कुंडली बॉर्डर के धरना स्थल पर आज शाम को समन्वय समिति की बैठक में चढ़ूनी द्वारा राजनीतिक दलों के साथ की गई बैठक से जुड़े विवाद पर चर्चा की। बैठक में चढ़ूनी ने समिति के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए लिख कर बताया कि रविवार की बैठक उन्होंने अपनी निजी हैसियत में बुलाई थी। इस बैठक का सयुंक्त किसान मोर्चा से कोई संबंध नहीं है। यह एहसास करते हुए उन्होंने समिति को भरोसा दिलाया कि वो इस आंदोलन के दौरान भविष्य में किसी राजनैतिक बैठक में नहीं जाएंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे संयुक्त किसान मोर्चा के साथ थे, हैं और रहेंगे।
समिति ने इस स्पष्टीकरण का स्वागत करते हुए यह फैसला किया कि अब इस विवाद को समाप्त किया जाए। यह ऐतिहासिक आंदोलन जिस मोड पर है, उसमे एकता और अनुशासन सर्वोपरि है। लोगों के सहयोग से यह आंदोलन किसान संगठन ही यहां तक लेकर आए हैं और किसान संगठन ही इसे मुकाम तक लेकर जाएंगे। कोई भी संगठन या पार्टी अपने तौर पर इस आंदोलन को समर्थन देने को स्वतंत्र हैं, लेकिन आंदोलन सीधे किसी पार्टी से रिश्ता नहीं रखेगा।
बैठक के दौरान डा. दर्शन पाल, शिव कुमार कक्का, जगजीत सिंह डल्लेवल, बलबीर सिंह रजेवल, हन्नन मौला, योगेंद्र यादव आदि मौजूद थे।
आपको बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि एक दिन पूर्व हुई बैठक में मोर्चा के सदस्यों ने आंदोलन में राजनीतिक लोगों के प्रवेश पर एतराज जताया था। सदस्यों का कहना था कि गुरनाम सिंह चढ़ूनी के कैंप में राजनीतिक पार्टियों के लोगों का आना-जाना होता है और उन्होंने मोर्चा से अनुमति लिए बगैर 22 व 23 जनवरी को किसान संसद बुलाई है, जिसमें राजनीतिक दलों के लोगों को आमंत्रित किया गया है। इसे लेकर उन पर कार्रवाई की गई थी जो अब वापस ले ली गई है।