नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन जस्टिसों की बेंच 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन किसान संगठनों ने ट्रैक्टर रैली निकालने के मुद्दे पर सुनवाई करेगी।
किसान संगठन 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान कर चुके हैं, जबकि दिल्ली पुलिस इस रैली के खिलाफ है। किसान संगठनों ने मांग की है कि उन्हें 26 मार्च को रैली निकालने की इजाजत दी जाए। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिस पर कोर्ट आज सुनवाई करेगा।
किसानों के मार्च को लेकर क्या हैं पुलिस के तर्क?
- दिल्ली पुलिस का कहना है कि कोई भी रैली या ऐसा विरोध-प्रदर्शन जो गणतंत्र दिवस समारोह में खलल डालने की कोशिश करता है,उसकी इजाजत देना देश को शर्मिंदा करने वाला होगा।
- पुलिस का कहना है कि इससे दुनियाभर में देश की बदनामी होगी तथा कानून-व्यवस्था खराब होने की स्थिति बन सकती है।
- पुलिस ने इसके लिए अलग-अलग रिपोर्ट्स का हवाला दिया है और कहा है कि कई किसान गणतंत्र दिवस की परेड में खलल डालने के लिए लाल किले तक पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं।
क्या कह रहे हैं किसान नेता?
- वहीं किसान नेताओं का कहना है कि ट्रैक्टर मार्च दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर तिरंगे के साथ निकाला जाएगा।
- किसान नेताओं का कहना है कि गणतंत्र दिवस समारोह में कोई रुकावट नहीं डाली जाएगी।
आपको बता दें कि सुप्रीम सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह सुनवाई के दौरान किसान आंदोलन में संदिग्ध संगठनों की सक्रियता पर संज्ञान लिया था। कोर्ट में दायर एक याचिका में बताया गया है कि किसान आंदोलन में कनाडा के संगठन सिख फॉर जस्टिस के बैनर लहरा रहे हैं। इसलिए ऐसी आशंका है कि खालिस्तान समर्थक यह संगठन आंदोलन के लिए फंड उपलब्ध करवा रहा है। कई देश विरोधी घटनाओं में संदिग्ध PFI भी आंदोलन को भड़काने में लगा है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।
उधर, एनआईए (NIA) यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने किसान आंदोलन से जुड़े 50 से ज्यादा नेताओं और कारोबारियों को समन भेजा है। इनमें पटियाला में बब्बर खालसा के आतंकी जगतार सिंह हवारा के पिता गुरचरन सिंह और किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा भी शामिल हैं। इसको लेकर क्रांतिकारी किसान यूनियन के मुखिया दर्शन पाल ने कहा है कि एनआईए ने उन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज करना शुरू कर दिया है जो किसान आंदोलन का हिस्सा हैं या जो किसान आंदोलनों समर्थन कर रहे हैं।