राहुल-प्रियंका ने किया राजभवन मार्च, बैरिकेडिंग में लगे कंटीले तार से अलका लांबा घायल

कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का आंदोलन 51वें दिन भी जारी है। इस बीच, विदेश से लौटने के बाद वायनाड से सांसद राहुल गांधी किसान आंदोलन पर लगातार केंद्र को निशाने पर ले रहे हैं। राहुल और अपनी छोटी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ दिल्ली में राजभवन मार्च किया।

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प्रखर खबर. नई दिल्ली
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का आंदोलन 51वें दिन भी जारी है। इस बीच, विदेश से लौटने के बाद वायनाड से सांसद राहुल गांधी किसान आंदोलन पर लगातार केंद्र को निशाने पर ले रहे हैं। राहुल और अपनी छोटी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ दिल्ली में राजभवन मार्च किया। मार्च के दौरान कांग्रेस नेता अलका लांबा के घायल होने की खबर है।

बताया जा रहा है कि राजभवन मार्च के दौरान दिल्ली पुलिस ने रास्ते में बैरिकेडिंग की हुई थी। इस बैरिकेडिंग में कंटीले तार लगे हुए थे, जिनमें अलका लांबा का हाथ फंस गया और वह घायल हो गई। बताया जा रहा है कि उनके हाथ फटने की वजह से उनके हाथ से काफी खून निकलने लगा।

इस मौके पर राहुल ने कहा कि ये तीन कानून किसान को खत्म करने के कानून हैं। इस देश को आज़ादी अंबानी-अदानी ने नहीं, किसान ने दी है। कानून रद्द होंगे, नरेंद्र मोदी जी को समझ जाना चाहिए कि किसान पीछे हटने वाले नहीं हैं। ये हिन्दुस्तान है पीछे नहीं हटता है, प्रधानमंत्री को आज नहीं तो कल पीछे हटना पड़ेगा। अगर इंटेलिजेंट होते तो आज ये कर देते। दरअसल, नरेंद्र मोदी हिन्दुस्तान को नहीं समझ रहे हैं, वो सोचते हैं कि किसानों में शक्ति नहीं है और ये 10-15 दिन में चले जाएंगे, क्योंकि नरेंद्र मोदी किसान की इज्जत नहीं करते। नरेंद्र मोदी हिन्दुस्तान का किसान नहीं डरेगा, नहीं हटेगा और भागना आपको पड़ेगा।

राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ”देश के अन्नदाता अपने अधिकार के लिए अहंकारी मोदी सरकार के खिलाफ सत्याग्रह कर रहे हैं। आज पूरा भारत किसानों पर अत्याचार व पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के विरुद्ध आवाज बुलंद कर रहा है। आप भी जुड़िए और इस सत्याग्रह का हिस्सा बनिये।

याद रहे, सरकार और किसानों के बीच अबतक नौ दौर की बातचीत हो चुकी है जिसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है। हालांकि इस दौरान दोनों पक्षों के बीच दो मुद्दों पर सहमति जरूर बन गई है। किसान संगठनों ने तेवर दिखाते हुए कहा है कि कानून रद्द करने से कम कुछ भी मंजूर नहीं।

पहला दौरः 14 अक्टूबर : मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने मीटिंग का बायकॉट कर दिया। वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते थे।

दूसरा दौरः 13 नवंबर : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।

तीसरा दौरः 1 दिसंबर : तीन घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे।

चौथा दौरः 3 दिसंबर : साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। किसानों का कहना था सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानून भी रद्द करे।

5वां दौरः 5 दिसंबर : सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे।
6वां दौरः 8 दिसंबर : भारत बंद के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।

7वां दौर: 30 दिसंबर : नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। दो मुद्दों पर मतभेद कायम, लेकिन दो पर रजामंदी बनी।

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