अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने कार्यकाल की समाप्त से छह दिन पहले महाभियोग का सामना कर रहे हैं। ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव कांग्रेस यानी संसद के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव यानी निचले सदन में पास हो गया है। इसके साथ ही ट्रम्प अमेरिका के ऐसे पहले राष्ट्रपति बन गए हैं, जिन पर पद पर रहते हुए दूसरी बार महाभियोग चलेगा। ट्रम्प पर देश के खिलाफ विद्रोह भड़काने का आरोप है। ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सांसदों ने भी उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के पक्ष में वोट किया है।
CNN की रिपोर्ट के अनुसार निचले सदन में ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव पूर्ण बहुमत से पास हो गया है। ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग चलाने के प्रस्ताव के पक्ष में 232 और विरोध में 197 वोट पड़े। ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग चलाने के प्रस्ताव के पक्ष में वोट करने वाले सांसदों का मानना है कि ट्रम्प दंगे भड़काने के आरोपी हैं। रिपब्लिकन पार्टी के भी 10 सांसदों ने ट्रम्प के खिलाफ वोट किया है।
संसद के निचले सदन में प्रस्ताव पारित होने से पहले ट्रम्प ने लोगों से हिंसा नहीं करने की अपील की और कहा कि कोई भी कानून तोड़ने वाला काम या किसी तरह की बर्बरता नहीं होनी चाहिए। यह वह नहीं है जिसके लिए अमेरिका खड़ा रहता है। मैं सभी अमेरिकियों से अपील करता हूं कि वे तनाव कम करने और माहौल शांत करने में मदद करें।
आपको बता दें कि ट्रम्प के समर्थकों ने पिछले हफ्ते कैपिटल हिल बिल्डिंग यानी संसद भवन में तोड़फोड़ की थी। कैपिकल हिल बिल्डिंग में हुई हिंसा में एक पुलिस अफसर सहित पांच लोगों की मौत हो गई थी। ट्रम्प समर्थकों की हिंसा के मद्देनजर कैपिटल हिल बिल्डिंग के बाहर काफी संख्या में नेशनल गार्ड तैनात किए गए थे। कड़ी सुरक्षा के घेरे में सांसदों ने लगभग एक दिन चली लंबी बहस में हिस्सा लिया, जिसके बाद संसद ने जो बिडेन को राष्ट्रपति निर्वाचित घोषित किया।
सदन में ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत करते हुए रूल्स कमेटी के चेयरमैन जिम मैक्गोवर्न ने कहा कि हम उसी जगह खड़े होकर ऐतिहासिक कार्यवाही पर बहस कर रहे हैं, जहां अपराध हुआ था। मैक्गोवर्न ने कहा कि उस दिन यहां जो हुआ, वह कोई विरोध नहीं था। यह हमारे देश के खिलाफ संगठित विद्रोह था। इसे डोनाल्ड ट्रम्प ने भड़काया था।
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ट्रम्प को देश के लिए खतरा करार दिया और कहा कि हम जानते हैं कि उन्होंने देश के खिलाफ विद्रोह के लिए लोगों को उकसाया। उन्हें इसके लिए जाना चाहिए। उन्होंने नवंबर में हुए चुनाव के नतीजों के बारे में में बार-बार झूठ बोला और डेमोक्रेसी पर शक किया। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि राष्ट्रपति को सीनेट की ओर से दोषी ठहराया जाना चाहिए। यह संवैधानिक उपाय उस शख्स (ट्रम्प) से हमारे गणतंत्र को सुरक्षित करेगा, जो लगातार इसे नुकसान पहुंचा रहा है। वहीं, रिपब्लिकन पार्टी के जिम जॉर्डन ने इस कार्यवाही की आलोचना की और कहा कि डेमोक्रेट्स राष्ट्रपति को हटाने की कोशिश कर रहे हैं।
ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग को लेकर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। महाभियोग पर डेमोक्रेट के बहुमत वाले हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में सुनवाई हो चुकी है। अब यह प्रस्ताव कांग्रेस के उच्च सदन यानी सीनेट में चला गया है, जिसमें रिपब्लिकन का बहुमत है और यहां प्रस्ताव को पास होने के लिए दो तिहाई मत जरूरी होता है।
इससे पहले 2019 में भी ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें एक भी रिपब्लिकन ने प्रस्ताव पक्ष में वोट नहीं दिया था। संवैधानिक विशेषज्ञ इस बात पर बंटे हुए हैं कि क्या राष्ट्रपति के पद छोड़ने के बाद भी महाभियोग चलाया जा सकता है या नहीं।
अमेरिका में अब तक तीन राष्ट्रपतियों पर महाभियोग चला है। इनमें से ट्रम्प पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं, जिन पर दूसरी बार महाभियोग चलेगा। चलिए आपको बताते हैं कि कब-कब तथा किन-किन राष्ट्रपतियों के खिलाफ महाभियोग चला है।
- सबसे पहले 1868 में एंड्रयू जॉनसन के खिलाफ महाभियोग चला था।
- 130 साल बाद 1998 में बिल क्लिंटन और 2019 में डोनाल्ड ट्रम्प पर महाभियोग चला।
- 1974 में वाटरगेट कांड के बाद रिचर्ड निक्सन ने इस्तीफा दे दिया था। उन पर महाभियोग चलना तय था। हालांकि अमेरिका में महाभियोग चलाकर किसी भी राष्ट्रपति को अब तक हटाया नहीं जा सका है।