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पूरी दुनिया में आज भी कोरोना वायरस महामारी के कहर से जूझ रही है। कई देशों में कोरोना के टीके लगाए जा रहे हैं तो कई राष्ट्रों में इसे लेकर तैयारियां चल रही हैं। भारत में भी दो कोरोना वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है. इसके लिए पूरे देश में ड्राई रन चल रहे हैं. ऐसे में नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने शुष्क बर्फ में कोविड-19 टीकों के परिवहन के लिए विमान सेवा कंपनियों के लिए दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
महानिदेशालय के आज जारी परिपत्र में कहा गया है कि यात्री केबिन में यदि शुष्क बर्फ के साथ टीकों की ढुलाई की अनुमति तभी होगी जब उसमें आम यात्री सवार न हों। साथ ही केबिन क्रू तथा अनिवार्य सदस्यों के लिए सुरक्षा के लिए जरूरी निर्देश दिये गये हैं।

कोविड-19 के लिए दुनिया भर में विकसित विभिन्न टीकों को माइनस आठ से माइनस 70 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रखने की जरूरत होती है। इसे देखते हुये उनके परिवहन और भंडारण के दौरान तापमान कम रखने के लिए कई प्रकार के उपाय किये जाते हैं। शुष्क बर्फ यानी ठोस कार्बन डाई-ऑक्साइड काफी सस्ता आसानी से उपलब्ध विकल्प है, लेकिन माइनस 78 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान पर यह लगातार गैस में बदलता रहता है। इससे विमान के अंदर वायु दाब में बदलाव और कार्बन डाई-ऑक्साइड गैस की अधिकता की समस्या आ सकती है।

डीजीसीए ने एयरलाइंस से कहा है कि वे विमान निर्माता कंपनियों के मैन्युअल के अनुरूप यह तय करें कि कार्गो कंपार्टमेंट में और केबिन में अधिकतम कितना शुष्क बर्फ रखा जा सकता है। इसके लिए तकनीकी दिशा-निर्देश क्या हैं। साथ ही कार्बन डाई-ऑक्साइड गैस से किसी को नुकसान न हो इसके लिए चालक दल के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जाना अनिवार्य किया गया है। केबिन में अन्य अनिवार्य सदस्यों की उपस्थिति की स्थिति में हर समय अतिरिक्त ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है।

सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान लागू किये गये विमान किराया विनियमन की शर्तों में बदलाव किया है जिससे हवाई यात्रा महँगी हो सकती है।
महामारी के दौरान सरकार ने उड़ान के समय के अनुसार विमान किराये की न्यूनतम और उच्चतम सीमा तय कर दी थी। पहले एयरलाइंस के लिए उपलब्ध सीटों में कम से कम 40 प्रतिशत टिकट उच्चतम और न्यूनतम किराया सीमा के औसत से कम पर बुक कराना अनिवार्य था। उदाहरण के लिए पटना से राँची का न्यूनतम किराया दो हजार रुपये और अधिकतम किराया छह हजार रुपये तय किया गया है। ऐसे में विमान सेवा कंपनी के लिए कम से कम 40 प्रतिशत सीट की बुकिंग चार हजार रुपये या उससे कम में करना अनिवार्य था।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने आज एक आदेश जारी कर कहा है कि अब मात्र 20 प्रतिशत सीट ही उच्चतम और न्यूनतम सीमा के औसत से कम पर बुक करना अनिवार्य होगा। यानी विमान सेवा कंपनियाँ अब ऊँचे दाम पर ज्यादा टिकट बेच सकेंगी। इसके साथ ही विमान किराया नियमन की अवधि भी 24 फरवरी 2021 से बढ़ाकर अब 31 मार्च 2021 तक कर दी गई है।

बता दें कि पूर्ण बंदी के दौरान दो महीने तक सभी तरह की नियमित यात्री उड़ानों पर प्रतिबंध के बाद जब 25 मई 2020 को घरेलू यात्री उड़ानें दुबारा शुरू की गई तो सरकार ने किराये की उच्चतम और न्यूनतम सीमा तय कर दी थी। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने उस समय कहा था कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि विमान सेवा कंपनियाँ लोगों की मजबूरी का लाभ उठाकर मनमाना किराया न वसूल सकें। यात्रियों की संख्या और उड़ानों की उपलब्धता बढ़ने के बाद इसे हटा दिया जायेगा। घरेलू मार्गों पर यात्रियों की संख्या कोविड-पूर्व की तुलना में 80 प्रतिशत से अधिक पर पहुँच चुकी है, लेकिन सरकार अभी किराया सीमा हटाने के पक्ष में नहीं है।

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