Narendra Singh Tomar
बातचीत के नतीजों की जानकारी देते केंद्र सरकार के मंत्री (फोटो-पीटीआई)

मोदी सरकार और किसान संगठनों के बीच 8वें दौर की बैठक खत्म बेनतीजा रही. दोनों के बीच नए कृषि कानूनों को लेकर कोई सहमति नहीं बनी. किसान संगठन कानून निरस्त करने की मांग पर अड़े रहे. किसानों ने साफ कह दिया कि उनका आंदोलन तबतक नहीं खत्म होगा जबतक तीनों नए कानून खत्म नहीं कर दिए जाते. अब अगले दौर की बैठक 8 जनवरी को होगी. किसान संगठनों के प्रतिनिधि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर कायम हैं. हालांकि सरकार की ओर से कहा गया है कि वह कानूनों को वापस नहीं लेगी पर वह कुछ संशोधन कर सकती है.

बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम चाहते हैं कि किसान संगठन तीनों कानूनों पर चर्चा करें. हम किसी समाधान तक नहीं पहुंच सकें क्योंकि किसान संगठन कानूनों को निरस्त करने पर अड़े हैं. उन्होंने कहा कि सहमति के लिए किसानों को सकारात्मक वार्ता करनी होगी. तोमर ने कहा कि किसानों को समझ लेना चाहिए कि ताली दोनों हाथों से बजती हैं.

वहीं, किसान यूनियन के युद्धवीर सिंह ने कहा कि मंत्री चाहते थे कि हम कानून पर बिंदुवार चर्चा करें. हमने इसे खारिज कर दिया और कहा कि चर्चा का कोई मतलब नहीं क्योंकि हम कानूनों को पूरी तरह से खारिज करने की मांग कर रहे हैं. सरकार का हमें संशोधन की ओर ले जाने का इरादा है लेकिन हम इसे नहीं स्वीकारेंगे.

अनाज की खरीद प्रणाली से जुड़ी न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने की किसानों की महत्वपूर्ण मांग पर भी गतिरोध कायम है. किसान संगठन के प्रतिनिधि अपने लिये खुद भोजन लेकर आये थे. भोजन अवकाश के दौरान ‘लंगर’ लगा. हालांकि 30 दिसंबर की तरह आज केंद्रीय नेता लंगर में शामिल नहीं हुए और भोजनावकाश के दौरान अलग से चर्चा करते रहे.

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद सोम प्रकाश ने विज्ञान भवन में 40 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू की. सूत्रों ने बताया कि मौजूदा प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के साथ बैठक शुरू हुई.

आपको बता दें कि इससे पहले, सरकार और किसान संगठनों के बीच सातवें दौर की वार्ता की वार्ता 30 दिसंबर को हुई थी. उस दौरान पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने और बिजली पर रियायत जारी रखने की दो मांगों पर सहमति बनी थी.

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