मोदी सरकार के खिलाप विपक्ष लामबंद हो रहा है. इससे लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जी तोड़ मेहनत कर रही हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए हमले के बाद पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के रिश्ते ज्यादा तल्ख हुए. केंद्र सरकार ने नड्डा की सुरक्षा के लिए जवाबदेह आईपीएस के तीन अधिकारियों को वापस बुला लिया था. इसे लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खफा हैं और मोदी सरकार के खिलाफ एक नया मोर्चा खोला है.
बता दें कि ममता बनर्जी ने इसे लेकर कई राज्यों के नेताओं से भी बात की थी. ममता ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार से भी फोन पर बात की है. यह जानकारी एनसीपी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने दी है. नवाब मलिक ने कहा कि पश्चिम बंगाल की सरकार को अस्थिर करने के लिए बीजेपी जिस तरह से केंद्र का उपयोग कर रही है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है.
एनसीपी नेता तीन आईपीएस अधिकारियों को वापस बुलाए जाने को गंभीर मसला बताया. उन्होंने कहा कि इसे लेकर शरद पवार अन्य राजनीतिक दलों के साथ भी बात करेंगे. मलिक ने कहा कि राज्य सरकारों को अस्थिर करने के लिए केंद्र की ओर से किए जा रहे सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करेंगे. उन्होंने कहा कि शरद पवार इसके लिए दिल्ली भी जा सकते हैं.
बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 9 और 10 दिसंबर को पश्चिम बंगाल के दौरे पर थे. इस दौरान डायमंड हार्बर में नड्डा के काफिले पर हमला हुआ था. अपने तैनाती स्थल के आधार पर दक्षिण बंगाल के एडीजी राजीव मिश्रा, डायमंड हार्बर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) भोलानाथ पांडेय, प्रेसीडेंसी रेंज के डीआईजी के प्रवीण त्रिपाठी नड्डा की सुरक्षा के लिए जवाबदेह थे.
केंद्र ने इन तीनों आईपीएस अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर वापस बुलाने का आदेश जारी करते हुए राज्य सरकार से इन अधिकारियों को रिलीज करने के लिए कहा था. ममता बनर्जी ने केंद्र के आदेशों की अवहेलना करने की धमकी दी थी. ममता बनर्जी ने कहा था कि राज्य की आपत्ति के बावजूद पश्चिम बंगाल के तीन सेवारत आईपीएस अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए केंद्र सरकार का आदेश, आईपीएस कैडर रूल 1954 के इमरजेंसी प्रावधानों और पावर का घोर दुरुपयोग है. इसके बाद से केंद्र और बंगाल के बीच तनाव चरम पर पहुंचा है.