PM Modi
किसान आंदोलन को लेकर पूरे देश में हड़कंप मचा है. देश के अलग-अलग हिस्सों से दिल्ली सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को लगातार समर्थन मिल रहा है। इस मामले में अब तो बीजेपी के अंदर भी मोदी सरकार के खिलाफ गुस्सा दिखने लगा है। दिल्ली सीमा पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसान मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों को लेकर धरना दे रहे हैं. किसानों की सरकार से 6 दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है, जबकि धरना-प्रदर्शन का तीन हफ्ते से ज्यादा वक्त हो चुका है। इस मामले में मोदी सरकार घिरती जा रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश के किसानों को संबोधित करते हुए अन्नदाताओं केआंदोलन पर विपक्ष को घेरा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज किसी का नाम लिए बगैर कहा कि आंदोलन के नाम पर विपक्षी दल किसानों को भ्रमित और बरगलाने का कार्य कर अपनी ‘राजनैतिक जमीन’ तैयार करने का कार्य कर रहे हैं और किसानों को ऐसे लोगों से सतर्क व सावधान रहना चाहिए।
मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मध्यप्रदेश के लाखों किसानों को किसान महासम्मेलन के जरिए संबोधित किया। किसान महासम्मेलन राज्य के रायसेन जिला मुख्यालय पर आयोजित किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, अनेक मंत्री और पार्टी पदाधिकारी मौजूद थे। महासम्मेलन में हुए पीएम और मुख्यमंत्री का भाषण वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश के अलावा देश के अनेक हिस्सों में भी सुना गया।
मोदी ने अपने लगभग 50 मिनट के भाषण में साफ तौर पर कहा कि तीनों नए कृषि कानूनों को लागू हुए छह सात माह हो गए हैं। इस दौरान न तो मंडियां बंद हुयीं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उपज की खरीदी भी बंद नहीं हुयी और न ही किसानों की जमीन को लेकर कोई संकट पैदा हुआ। उन्होंने कहा कि ये कार्य भविष्य में भी बंद नहीं होंगे, लेकिन विपक्षी दल इन मुद्दों को लेकर भ्रम फैला रहे हैं।
मोदी ने कहा कि आज वे ऐसे लोगों का कच्चा चिट्ठा खोलना चाहते हैं। ऐसे लोग कृषि क्षेत्र में सुधार संबंधी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लगभग आठ वर्षों तक दबाए बैठे रहे। हमारी सरकार ने स्वामीनाथन आयाेग की रिपोर्ट को निकाला और कृषि क्षेत्र में सुधार संबंधी प्रावधानों को लागू किया। इसी क्रम में कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन नए कानून देश में लागू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में ये कानून देश में आज से 25-30 वर्ष पहले लागू हो जाने चाहिए थे।
मोदी ने कहा कि जाे सुधार उनकी सरकार ने लागू किए हैं, वे सब विपक्षी दल अपने घोषणापत्रों और भाषणों में दर्ज कराते आ रहे थे, लेकिन कदम किसी ने नहीं उठाए, क्योंकि उनकी नीयत ठीक नहीं थी। लेकिन हमारी सरकार ने इन सुधारों को लागू कर दिया। उन्होंने कहा कि दरअसल विपक्षी दलों को नए सुधारों से तकलीफ नहीं है। उन्हें इस बात की तकलीफ है कि यह कार्य ‘मोदी’ ने क्यों कर दिया।
प्रधानमंत्री ने किसानों की बेहतरी को सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता निरुपित करते हुए कहा कि हमने देश के किसानों की उन मांगों को भी पूरा किया है, जिन पर वर्षों से सिर्फ और सिर्फ मंथन चल रहा था। हमारे यहां के विकासवादी सोच वाले किसान भी कृषि सुधारों की मांग करते आए हैं। मोदी ने दावा करते हुए कहा कि सभी दलों के घोषणापत्र और और चिट्ठियां देखी जाएं, तो जो आज कृषि सुधार लागू हुए हैं, वे उनसे अलग नहीं है। मोदी ने कहा कि वे किसानों को समृद्ध, खुशहाल और आधुनिक देखना चाहते हैं। लेकिन विपक्षी दल अब अचानक भ्रम के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने में जुटे हैं। वे किसानों के कंधों पर बंदूक रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार और हमारे मंत्री बार बार पूछ रहे है कि किस प्रावधान से दिक्कत है, तो इनके पास कोई जवाब नहीं होता है।
‘किसानों की जमीन चली जाएगी’ का डर दिखाकर ये लोग अपनी राजनैतिक जमीन खोज रहे हैं। किसानों को यह भी जरुर ध्यान देना चाहिए कि ऐसे लोगों ने उस समय क्या किया जब वे सरकार में थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये लोग वही हैं, जिन्होंने किसानों की कर्जमाफी के नाम पर किसानों और देश प्रदेश को गुमराह किया। इन लोगों ने मध्यप्रदेश में चुनाव के पहले कहा था कि दस दिन के भीतर किसानों का कर्जमाफ कर दिया जाएगा। सत्ता में आने पर तरह तरह के बहाने बनाए गए। राजस्थान के किसान भी कर्जमाफी का इंतजार करते हैं। इतना बड़ा धोखा करने वालों को किसानों के हितों की बात करते देखते हैं, तो आश्चर्य होता है।
उन्होंने कहा कि किसान कर्जमाफी को लेकर इनकी ओर से जितना दावा किया जाता है, उतना पैसा किसानों तक पहुंचता नहीं है और किसान कर्जमाफ के चक्कर में बैंक नोटिस और गिरफ्तारी वारंट का सामना करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। किसान कर्जमाफी का लाभ सिर्फ ऐसे लोगों के करीबियों और नाते रिश्तेदारों को मिलता था। कुछ बड़े किसानों का कर्ज माफ कर दिया गया और राजनैतिक रोटियां सेंक ली गयीं। फिर गरीब किसान को कौन पूछता है। देश अब ऐसे लोगों को जान गया है।
मोदी ने केंद्र सरकार की किसानों के प्रति नीयत को गंगा और नर्मदा की तरह पवित्र निरुपित करते हुए अनेक आकड़े भी पेश किए। उन्होंने कहा कि ये लोग 50 हजार करोड़ रुपए दस साल में एक बार देते हैं और हम लोग किसानों को प्रति वर्ष 75 हजार करोड़ रुपए पहुंचा रहे हैं। इन लोगाें के जमाने में किसानों को यूरिया खाद के लिए जूझना पड़ता था। हमारी सरकार ने इसका भी समाधान निकाला और अब देश में यूरिया की किल्लत नहीं है। यूरिया के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए देश में अनेक स्थानों पर फर्टिलाइजर कारखाने स्थापित किए जा रहे हैं। यूरिया की कालाबाजारी रोकी गयी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इनके कार्यकाल में देश में 100 से अधिक बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट वर्षों तक पूरे नहीं हुए। इस वजह से समय और पैसे की जमकर बर्बादी हुयी। हमारी सरकार ने इन योजनाओं को मिशन के रूप में पूरा किया, जिससे सिंचाई सुविधाएं बढ़ीं। अब मछली उत्पादन पर भी जोर दिया जा रहा है। किसानों से जुड़ी अन्य योजनाओं पर कार्य जारी है।
मोदी ने दोहराते हुए कहा कि यदि सरकार को एमएसपी हटानी होती, तो वह स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू क्यों करती। कोरोना संकटकाल में भी देश में नए कानून लागू होने के बाद एमएसपी से उपज की खरीद मंडियों में ही हुयी। एमएसपी और मंडियां भविष्य में भी बंद नहीं होंगी।
उन्होंने कहा कि गेंहू की एमएसपी उनके समय में 1400 रुपए प्रति क्विंटल थी, जो हमारे समय में 1975 हो गयी है। धान की एमएसपी 1310 से 1870 हुयी है। इसी तरह उन्होंने अन्य उपजों की एमएसपी के आंकड़े बताते हुए कहा कि ये सबूत है कि हमारी सरकार समय समय पर एमएसपी बढ़ाने को तवज्जो देती है। उन्होंने आंकड़े बताते हुए कहा कि इसी तरह एमएसपी पर पहले की तुलना में अनाज भी ज्यादा खरीदा गया है।
उन्होंने कहा कि इसी तरह ‘फार्मिंग एग्रीमेंट’ को लेकर भी भ्रम फैलाया जा रहा है। देश में वर्षों से फार्मिंग एग्रीमेंट की व्यवस्था चल रही है। कई राज्यों में यह चल रहा है। मौजूदा सरकार ने फार्मिंग एग्रीमेंट में भी किसानों के हितों का ध्यान रखा है। उन्होंने राज्य सरकार को सुझाव भी दिया कि वे इन कानूनों से जुड़े प्रावधान सरल भाषा में तैयार कराएं और किसानों के बीच पहुंचाएं।

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