किसान आंदेलनः किसान नेता राकेश टिकैत के ट्विटर की तस्वीर

संवाददाता

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः सरकार नए कृषि कानूनों में बदलाव करने को तैयार, लेकिन इन्हें वापस लेने को राजी नहीं है। वहीं किसान इन कानूनों को रद्द करने के सिवाय कुथ भी कबूल करने को तैयार नहीं है। तीन नए केंद्रीय कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 15वीं दिन है। सरकार ने छह दौर की वार्ता के बाद बुधवार को लिखित आश्वस देकर किसानों को मनाने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास भी विफल साबित हुआ।

केंद्र सरकार की ओर से किसानों को कृषि कानूनों में बदलाव करने सहित 22 पेज का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन बात नहीं बनी। किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि अब आंदोलन और तेज होगा। किसानों ने कहा कि अब जयपुर-दिल्ली और आगरा-दिल्ली हाईवे सहित सभी राष्ट्रीय राजमार्ग जाम किए जाएंगे।

प्रस्ताव में भी राजनीति

सरकार की ओर से किसानों को भेजे गए प्रस्तावों में भी राजनीति की झलक साफ दिखाई थी। बातचीत के दौरान किसानों ने सरकार से पूछा था कि नए कृषि कानून किसकी सिफारिश पर लाए गए। इसका जवाब सरकार की ओर से लिखित में दिया गया। सरकार ने बताया कि 2010 में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की अध्यक्षता में एक समिति बनी थी। सरकार ने इस समिति के सदस्य के तौर पर सिर्फ हुड्डा और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के नामों का ही जिक्र किया है, जबकि इस समिति में पश्चिम बंगाल, बिहार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी शामिल थे।

आंदोलन में पाकिस्तान तथा चीन की एंट्री

तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के मुद्दे पर सरकार तथा किसान दोनों ही अपनी जिद्द पर अड्डे हैं। सरकार जहां कानून वापस नहीं लेने को तैयार नहीं है, वहीं किसान इस रद्द किए जाने के सिवाय कुछ ही कबूल करने को राजी नहीं हैं। इस आंदोलन को लेकर बयानबाजी भी खूब हो रही है। इसी के तहत अब आंदोलन में पाकिस्तान तथा चीन की एंट्री हुई है। केंद्रीय खाद्य आपूर्ति राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे के मुताबिक किसानों के आंदोलन में पाकिस्तान का चीन का हाथ है। दानवे ने कहा कि पहले सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर मुसलमानों को भड़काया गया। जब ये कोशिशें नाकाम रही तो, अब किसानों को उकसाया जा रहा है।

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