आज दीपोत्सव का अंतिम दिन है। आज दिन को भाई दूज के तौर पर मनाया जाता है। आज के दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र, सौभाग्य और अच्छे स्वास्थ्य के लिए यमराज और चित्रगुप्त से प्रार्थना करती है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज होता है। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर बुलाकर भोजन कराया था। यमुना के सत्कार से प्रसन्न होकर यमराज ने वर दिया था कि जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करेगा और यम पूजन करेगा, उसे सभी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। इसी वजह से इस दिन यमुना में स्नान करने का विशेष महत्व है।

आज के दिन बहन-भाई को यम और चित्रगुप्त की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए कि मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य और अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी कर दें। पूजा के बाद बहन भाई को भोजन कराती हैं। तिलक लगाती हैं और भाई बहन को कोई उपहार देता है।

यदि यमुना नदी में स्नान करना संभव न हो तो अपने घर पर ही पानी में यमुना का जल मिलाएं और स्नान करें। यमुना नदी का जल न हो तो पवित्र नदी का ध्यान करते हुए स्नान करें। स्नान के बाद यमराज और यमुना की पूजा करें और मंत्र जाप करें।  धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज। पाहि मां किंकरैः सार्धं सूर्यपुत्र नमोऽस्तु ते तथा यमस्वसर्नमस्तेऽसु यमुने लोकपूजिते। वरदा भव मे नित्यं सूर्यपुत्रि नमोऽस्तु ते। इन दोनों मंत्रो जाप कम से कम 11, 21 या 108 बार करें।

 पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

सुबह 9 से 10.30 बजे तक शुभ

दोपहर 3 से 4.30 बजे तक लाभ

दोपहर 4.30 से शाम 6 बजे तक अमृत

 भाई दूज के दिन गोधन कूटने की प्रथा भी है।गोधन कूटने के लिए सारी महिलाएं एक जगह एकत्र होती हैं और गीत भी गाती हैं।गोबर की मानव मूर्ति बना कर छाती पर ईंट रखकर स्त्रियां उसे मूसलों से तोड़ती हैं।जगह-जगह महिलायें गोधन कूटने की रस्म को पूरा करते हुए अपने भाइयों के लंबी उम्र की कामना कर रही हैं। ऐसी मान्यता है कि गोधन कूटने वाली बहनों के भाइयों की उम्र लंबी हो जाती है।बिहार में भैया दूज काफी धूमधाम से मनाया जा रही है। बहनों ने भाइयों की पूजा की और भगवान से उनकी लंबी उम्र की कामना की।

भाई दूज के दिन बहनें अपने भाईयों को पारंपरिक तरीके से बजरी खिलाती  है। बजरी को खिलाने के पीछे मान्यता है कि भाई खूब मजबूत बनता है। बहनें  अपने भाईयों को पहले खूब कोसती हैं फिर अपनी जीभ पर कांटा चुभाती हैं और  अपनी गलती के लिए भगवान से माफी मांगती हैं। बजरी खिलाने के बाद भाई अपनी  बहन को आशीर्वाद देते हैं। इसके पीछे यह मान्यता है कि यम द्वितीया के दिन  भाइयों को गालियां और श्राप देने से उन्हें यम (मृत्यु) का भय नहीं रहता।

वहीं आज के भगवान चित्रगुप्त की पूजा भी होती है। हिंदू धर्म में चित्रगुप्त जी की पूजा का विशेष महत्व है।  चित्रगुप्त कायस्थों के आराध्य देव हैं। भगवान चित्रगुप्त रो कलम का देवता  माना जाता है। चित्रगुप्त पूजा करने से साहस, शौर्य, बल और ज्ञान की  प्राप्ति होती है। कायस्थ समाज के लोग पूजा के दिन भगवान चित्रगुप्त के साथ ही कलम और  बही-खाते की भी पूजा करते हैं क्योंकि ये दोनों ही भगवान चित्रगुप्त को  प्रिय हैं। इसके साथ ही अपने आय-व्यय का ब्योरा और घर परिवार के बच्चों के  बारे में पूरी जानकारी लिखकर भगवान चित्रगुप्त को अर्पित की जाती है।

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