शुभ दीपावली…आज देश में बुराई पर अच्छा की जीत का प्रतीक दीपावली पर्व है। वैदिक ग्रंथों के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या को समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है। पद्म पुराण के मुताबिक आज के दिन दिन दीपदान करने से पाप नष्ट हो जाते हैं।

ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार दीपावली के मौके पर सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। दीपावली के मौके पर 17 साल बाद यह योग बन रहा है। आज के दिन लक्ष्मीजी के साथ गणेश, कुबेर, सरस्वती और कालिका की भी पूजा की जाती है।

पूजा विधि…

पंचोपचार पूजनः इस पूजा में काफी कम समय लगता है। ये पूजा विधि उन लोगों के लिए सबसे अच्छी रहती है, जिनके पास समय की कमी रहती है। इस विधि से भी बड़े पूजन के समान पुण्य प्राप्त होता है। इसमें सबसे पहले तीन बार आचमन करना चाहिए यानी तीन बार पानी ग्रहण करें। इसके बाद हाथ साफ करें। खुद पर और पूजन सामग्री पर पानी का छिड़काव करके सभी चीजें पवित्र करें। पृथ्वी देवी को प्रणाम करें। सबसे पहले गणेश जी की पूजा करेंगे।  श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करें। इसके बाद विष्णुजी की पूजा करें और विष्णु मंत्रों का जाप करें,  जैसे ऊँ नमो नारायणाय। अब  महालक्ष्मी की पूजा प्रारम्भ करें। पूजा करते समय मन में ऐसा भाव रखें कि देवी आपके घर में आ गई हैं। देवी का सत्कार करें।

महालक्ष्मी पर पुष्पहार चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं। भोग लगाएं। फल अर्पित करें। दीपक जलाकर देवी की आरती करें। मंत्र पुष्पांजली अर्पित करें। आखिरी में पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए देवी से क्षमायाचना करें। पूजा के बाद जमीन पर जल छोड़ें और ये जल अपनी आंखों पर लगाएं। इसके बाद आप उठ सकते हैं।

आज के दिन महालक्ष्मीजी के साथ ही देहली विनायक यानी श्रीगणेश, कलम, सरस्वती, कुबेर और दीपक की पूजा भी की जाती है। वैदिन ग्रंथों के मुताबिक ये भी दीपावली पूजा का ही भग  है। इनकी पूजा से सुख, समृद्धि, बुद्धि और ऐश्वर्य मिलता है। साथ ही दीपों की पूजा से हर तरह के दुख और पाप खत्म हो जाते हैं।

श्रीगणेश जी यानी देहली विनायक की पूजा: दुकान या ऑफिस में दीवारों पर ॐ श्रीगणेशाय नम:, स्वस्तिक चिह्न, शुभ-लाभ सिंदूर से लिखें और लिखते वक्त ॐ देहलीविनायकाय नम: मंत्र का जाप करें। साथ ही पूजा सामग्री और फूल से पूजा करें।

महाकाली यानी दवात पूजा : दवात यानी स्याही की बोतल को महालक्ष्मी के सामने रखें। फूल और चावल पर रखें। उस पर सिंदूर लगाकर मौली लपेट दें। ॐ श्रीमहाकाल्यै नम: का जाप करें। सुगंधित चीजें और फूलों दवात और महाकाली पर अर्पित करके प्रणाम करें।

लेखनी यानी कलम पूजा: लेखनी यानी कलम पर मौली बांधकर सामने रख लें और ॐ लेखनीस्थायै देव्यै नम: मंत्र जाप करें।  गंध, फूल, चावल से पूजा कर के प्रणाम करें।

बहीखाता पूजन: बहीखाता पर रोली या केसर-चंदन से स्वास्तिक बनाएं। उस पर पांच हल्दी की गांठें, धनिया, कमलगट्टा, चावल, दूर्वा और कुछ रुपए रखकर ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नम: का जाप करें। फिर गंध, फूल, चावल चढ़ाएं और सरस्वती माता को प्रणाम करें।

कुबेर पूजा: तिजोरी या रुपए रखने वाली जगह पर स्वस्तिक बनाकर कुबेर का ध्यान करें। ॐ कुबेराय नम: का जाप करें। फिर पूजा सामग्री और फूल से पूजा करें। पूजा के बाद प्रार्थना करते हुए हल्दी, चंदन, केसर, धनिया, कमलगट्टा, रुपए और दूर्वा तिजोरी में रखें। इसके बाद कुबेर से धन लाभ के लिए प्रार्थना करें।

दीपमालिका यानी दीपक पूजनः-

  • थाली में 11, 21 या उससे ज्यादा दीपक जलाकर महालक्ष्मी के पास रखें।
  • फूल और कुछ पत्तियां हाथ में लें। उसके साथ सभी पूजन सामग्री भी लें।
  • ॐ दीपावल्यै नम: इस मंत्र बोलते हुए फूल पत्तियों को सभी दीपकों पर चढ़ाएं और दीपमालिकाओं की पूजा करें।
  • दीपकों की पूजा कर संतरा, ईख, धान इत्यादि पदार्थ चढ़ाएं। धान का लावा (खील) गणेश, महालक्ष्मी तथा अन्य सभी देवी-देवताओं को भी अर्पित करें।

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