चमोलीः बम बम भोले और हर हर महादेव के जयकारों, लोकगीतों और गढ़वाल राइफल्स के बैंड की पारंपरिक धून के बीत रविवार को उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम के कपाट खुल गया। इसी के साथ ही चारधाम यात्री पूरी तरह से शुरू हो गई। रविवार सुबह 6 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बद्रीनाथ के कपाट खोल दिए गए। मंदिर के रावल (मुख्य पुजारी) ने गणेश पूजा के बाद मंदिर के कपाट खोले। इस मौके पर महिलाओं ने लोकगीत गाए और  गढ़वाल राइफल्स के बैंड ने पारंपरिक धुनें बजाईं।

बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद महज 02 घंटे में 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु धाम पहुंचे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी पूजन-दर्शन किए। देश और दुनियाभर के श्रद्धालु अगले 06 महीने तक भगवान बद्रीविशाल के दर्शन कर पाएंगे।

आपको बता दें कि 3 मई को भगवान बद्रीविशाल की पालकी, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, कुबेर और उद्धव की उत्सव डोली धाम पहुंची थी। इससे पहले 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री-यमुनोत्री धाम और 2 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खोले गए थे।

बद्रीनाथ धाम मंदिर समिति ने इस बार भगवान के लिए खास प्रसाद पैकेज तैयार करवाए हैं। दर्शन के लिए आ रहे श्रद्धालु सीधे मंदिर स्टॉल से जाकर यह प्रसाद का पैकेट खरीद सकते हैं। इसमें श्रृंगार के सभी सामान, प्रसाद और तुलसी की विशेष माला है। कीमत 150 रुपए है।

चमोली जिला प्रशासन ने इस बार बद्रीनाथ धाम की तीर्थयात्रा को पॉलीथिन मुक्त रखने का निर्णय लिया है। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने धाम और यात्रा पड़ावों पर पड़ने वाले होटल और ढाबा संचालकों को पॉलीथिन का उपयोग कम से कम करने का आग्रह किया है।

उन्होंने प्रतिष्ठानों को साफ-सुथरा करने के लिए कहा है। कर्णप्रयाग, गौचर, नंदप्रयाग, पीपलकोटी, ज्योतिर्मठ, गोविंदघाट और पांडुकेश्वर के होटलों के संचालकों को अनिवार्य रूप से रेट लिस्ट चस्पा करने और फायर सिलेंडर रखने के निर्देश दिए हैं।

धाम के कपाट खुलते ही सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पूरे मंदिर परिसर को सिक्योरिटी जोन में ले लिया गया है। गढ़वाल राइफल्स, SDRF, PAC और LIU के 500 जवान तैनात किए गए हैं।

मंदिर के कपाट खुलने के बाद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, ‘आज पूरा देश खुश है। श्रद्धालुओं को बड़ी संख्या में धाम में पूजा-अर्चना के लिए आना चाहिए। भक्तों को यहां आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति होती है।’

बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी केरल के नंबूदरी ब्राह्मण होते हैं, जिन्हें रावल कहा जाता है। पिछले साल तक ईश्वर प्रसाद नंबूदरी मुख्य रावल थे, लेकिन खराब सेहत के चलते उन्होंने पद छोड़ दिया है। इस बार 30 साल के अमरनाथ नंबूदरी को नए रावल की जिम्मेदारी मिली है।

वे 24वें रावल हैं, जिन्होंने बद्रीनाथ धाम में 250 साल पुरानी इस परंपरा को जारी रखा। अमरनाथ उत्तरी केरल से हैं। यह उनकी पहली पूजा होगी। 8वीं शताब्दी में जब आदि शंकराचार्य ने चारों धामों में चार पीठों की स्थापना की तो उन्होंने बद्रीनाथ में पूजा की जिम्मेदारी केरल के नंबूदरी ब्राह्मणों को दी थी।

आदि शंकराचार्य अद्वैत फाउंडेशन के सदस्य शंकरन नंबूदरी ने बताया कि रावल का चुनाव उत्तरी केरल के योग्य नंबूदरी ब्राह्मणों में से होता है। इस पर किसी एक परिवार का दावा नहीं होता है। सहायक रावल हमेशा त्रिवेंद्रम से होते हैं।

आपको बता दें कि 6 महीने बाद भगवान बद्री विशाल के कपाट खोल दिए गए। सबसे पहले मंदिर के रावल ने भगवान की पूजा-अर्चना की। उसके बाद अब मंदिर के पुजारी और दूसरे आचार्य भगवान का अभिषेक, दर्शन और पूजा में शामिल होने के लिए मंदिर में प्रवेश किया।

पुजारी सुरेश सुयाल ने बताया- बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले ‘गाडू घड़ा’ यात्रा निकाली जाती है, जिसमें तिल के शुद्ध तेल से भरे कलश को नरेंद्रनगर राजदरबार से विशेष मंत्रोच्चार के साथ बद्रीनाथ लाया जाता है। यही तेल भगवान बद्रीविशाल के अभिषेक में प्रयोग होता है।

कपाट खुलने से एक दिन पहले टिहरी राजपरिवार की ओर से राज पुरोहित विशेष पूजा करते हैं। साथ ही मंदिर के शिखर पर नया ध्वज फहराया जाता है। मुख्य पुजारी (रावल) और तीर्थ पुरोहित मिलकर वैदिक हवन और कलश स्थापना करते हैं।

गर्भगृह की सफाई के बाद भगवान की प्रतिमा का शुद्ध जल से स्नान कराया जाता है और नए वस्त्र व आभूषण पहनाए जाते हैं। यह संपूर्ण प्रक्रिया भगवान को शीतकालीन विश्राम के बाद जगाने के प्रतीक के रूप में होती है।

कपाट खुलने का अनुष्ठानः

  • सबसे पहले सुबह 5.20 बजे तक बद्रीनाथ के रावल मंदिर पहुंचें। इसके बाद रावल ने गणेश पूजा और द्वारपाल पूजा करके अंदर जाने की अनुमति ली।
  • 6 बजे कपाट खुलेंगे। फिर गर्भगृह खुलेगा। पिछले 6 महीने से जल रही अखंड ज्योति को दूसरे दीपक में शिफ्ट किया जाएगा।
  • लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा होगी। सभी देवताओं को ओढ़ाया हुआ घृत कंबल हटाया जाएगा। कपाट खुलने के बाद 2 घंटे तक निर्वाण दर्शन यानी बद्रीनाथ भगवान के बिना श्रृंगार के दर्शन होंगे।
  • भगवान के शरीर पर टिहरी राजघराने से आया तेल लगाया जाएगा। पहला अभिषेक तप्त कुंड के गर्म पानी से होगा। इसके बाद नव कलश पूजा, पंचामृत अभिषेक होगा।
  • दोपहर करीब साढ़े 12 बजे के बाद बालभोग और राजभोग लगेगा। फिर आरती होगी। पूरे दिन दर्शन होंगे। रात को शयन आरती के बाद करीब साढ़े 11 बजे तक मंदिर के कपाट बंद होंगे।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को कहा- चारधाम यात्रा शुरू हो गई है। बद्रीनाथ धाम के कपाट कल (रविवार) खुलेंगे। सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। सभी की सेफ्टी हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। मैं सभी से चारधाम यात्रा पर आने का आग्रह करता हूं। हमारे प्रधानमंत्री ने देश से अपील की है कि अपनी यात्रा के कुल बजट का 5% लोकल प्रोडक्ट्स को खरीदने पर खर्च करें।

मौसम विभाग (IMD) ने चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले मौसम में बदलाव की चेतावनी जारी की है। विभाग के मुताबिक 3 से 5 मई के बीच बारिश के साथ आंधी भी आ सकती है। ऐसे में ऊनी कपड़े, छतरी, रेनकोट साथ रखें। सरकार ने जगह-जगह मेडिकल कैंप बना रखे हैं, फिर भी फर्स्ट एड किट और जरूरी दवाएं साथ रखना की सलाह दी गई है।

सरकार ने यात्रा शुरू होने से पहले गाइडलाइन जारी की है। यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाते समय मेडिकल हिस्ट्री बतानी जरूरी है। यात्रा के समय रजिस्ट्रेशन प्रूफ, आईडी कार्ड, मंदिर पास, ट्रैवल परमिट, मेडिकल सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस पेपर जैसे डॉक्यूमेंट साथ रखना जरूरी है।

चारधाम यात्रा के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। यात्रा रूट पर करीब 6 हजार पुलिसकर्मी, PAC की 17 कंपनियां और अर्धसैनिक बलों की 10 कंपनियां तैनात की गई हैं।

हादसे की आशंका वाले 65 से ज्यादा इलाकों में स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (SDRF) तैनात किया जाएगा। यात्रा के दौरान खुफिया एजेंसियां ​​भी अलर्ट पर रहेंगी। पूरे यात्रा क्षेत्र को 15 सुपर जोन में बांटा गया है, जिसमें दो हजार से ज्यादा CCTV कैमरे लगाए गए हैं। गढ़वाल रेंज लेवल पर एक इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर भी बनाया गया है।

 

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