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लाइफस्टाइल

स्टेम सेल और जीन थेरेपी ने बढ़ाई है लाइलाज पार्किंसंस बीमारी से निजात दिलाने की उम्मीद

दिल्लीः अभी तक लाइलाज पार्किंसंस से ग्रसित मरीजों के लिए अच्छी खबर है। ट्रीटमेंट की दो विधियों से इस रोग से ग्रसित मरीजों को राहत मिलने की उम्मीद बढ़ी है। आपको बता दें कि पार्किंसंस एक डिसऑर्डर है, जिसमें डोपामाइन बनाने वाली सेल्स खराब हो जाती है। जिसके कारण मरीज की बोलने, चलने जैसी ताकत प्रभावित हो जाती है। उसे अकड़न, कंपन जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं। अभी तक इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन ट्रीटमेंट की दो विधियों ने  काफी उम्मीद जताई है।

चलिए आज हम आपको बताते हैं कि पार्किंसंस के लक्षण कब दिखते हैं, स्टेम सेल क्या है, जीन थेरेपी कैसे होती है और इन ट्रीटमेंट से क्या होगा

सबसे पहले बात करते हैं पार्किंसंस की। यह रोग (पीडी) दिमाग की एक ऐसी बीमारी है.  जो किसी व्यक्ति की बोलने, चलने-फिरने और रोजमर्रा के काम करने की कैपासिटी को धीरे-धीरे प्रभावित करती है। जब दिमाग में डोपामाइन हॉर्मोन बनाने वाली कुछ नर्व सेल्स मरने लगती हैं तो यह समस्या होती है। पर्याप्त डोपामाइन के बिना, बॉडी स्पीड को कंट्रोल करने में परेशानी होती है, जिससे कंपन, जकड़न और धीमी गति जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

न्यूरोसाइंसेस और न्यूरोसर्जरी के विशेषज्ञों के मुताबिक पीडी को अक्सर बुढ़ापे से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन भारत में बड़ी संख्या के अंदर लोगों में लक्षण बहुत पहले दिखने लगते हैं। रिसर्च से पता चलता है कि करीब 40-45% भारतीय मरीजों में 22 से 49 वर्ष की उम्र के बीच लक्षण दिख जाते हैं – इसे अर्ली ऑनसेट पार्किंसंस रोग (ईओपीडी) कहा जाता है। भारत में इसके मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में मौजूद ट्रीटमेंट मरीजों के लक्षणों को मैनेज करने और लाइफ क्वालिटी बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन साइंटिस्ट अब नए तरीकों की खोज कर रहे हैं, जो ट्रीटमेंट को और ज्यादा प्रभावी बना सके।

स्टेम सेल अनुसंधान और जीन थेरेपी जैसी अत्याधुनिक चिकित्साएं बड़ी उम्मीद दिखा रही हैं। यह न केवल लक्षणों में सुधार करने बल्कि पार्किंसंस के संभावित मूल कारण को जानने में भी मदद करेगी। ये एडवांस ट्रीटमेंट मस्तिष्क के नेचुरल फंक्शन को बहाल करने पर फोक्स्ड हैं, जिससे उम्मीद है कि पार्किंसंस को एक दिन रिवर्स किया जा सकता है।

क्या है स्टेम सेल ट्रीटमेंटः पार्किंसंस डिजीज के ट्रीटमेंट में स्टेम सेल थेरेपी दिलचस्प उम्मीद दिखाती है। स्टेम सेल्स में दो प्रमुख क्षमताएं होती हैं- वे अनगिनत बार खुद को नई बना सकती है और वे शरीर में किसी भी तरह की सेल्स में बदल सकती हैं। वैज्ञानिक अब इस ताकत का इस्तेमाल डोपामाइन बनाने वाली नई व हेल्दी नर्व सेल्स को बनाने के लिए कर रहे हैं।

कई प्रकार की स्टेम सेल्स में एम्ब्रायोनिक स्टेम सेल्स (ईएससी) और इंड्यूस्ड प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल्स (आईपीएससी) ने सबसे अधिक असर दिखाया है। इन सेल्स को खास न्यूरॉन्स में विकसित होने के लिए काम किया जा सकता है जो पार्किंसंस में प्रभावित होते हैं। स्टेम सेल थेरेपी का लक्ष्य बीमारी के मोटर लक्षणों का इलाज करना और जीवन की क्वालिटी में सुधार करना है।

क्या है जीन थेरेपीः  जीन थेरेपी पार्किंसंस के इलाज के लिए एक आनुवंशिक दृष्टिकोण अपनाती है। इसमें मौजूदा ब्रेन सेल्स फंक्शन को सही करने या सुधारने के लिए खास जीन को मस्तिष्क में पहुंचाया जाता है। असल में जीन थेरेपी का मतलब है खराब डीएनए को हेल्दी डीएनए से बदलना। इसमें फायदेमंद जीन को दोबारा से स्थापित करना, नुकसानदायक जीन को शांत करना या जीन फ़ंक्शन को बढ़ाना शामिल हो सकता है।

पार्किंसंस में, जीन थेरेपी मस्तिष्क में अच्छी तरह से दो चीजों पर काम करती है। पहला गैर-रोग-संशोधक, जो लक्षणों को कम करने पर काम करता है और दूसरा रोग-संशोधक, जिसका काम न्यूरॉन्स के नुकसान को धीमा करना या रोकना और उनके पुनर्जनन को बढ़ाना है। दोनों दृष्टिकोणों को दुनिया भर में नैदानिक परीक्षणों में एक्टिविटी ढूंढा जा रहा है।

कैसा होगा भविष्यः पार्किंसंस डिजीज के ट्रीटमेंट में हाल के मेडिकल एडवांसमेंट और रिसर्च के बावजूद स्टेम सेल थेरेपी और जीन थेरेपी अभी तक प्रायोगिक चरण से आगे नहीं बढ़ पाई है। लंबे समय तक सुरक्षा, नैतिक मुद्दे, इम्यून रिएक्शन और इन इलाजों का खर्च प्रमुख चुनौती है। इसके अलावा, पार्किंसंस डिसऑर्डर में आनुवंशिक, पर्यावरणीय और उम्र से संबंधित प्रभाव होते हैं, इसलिए एक तरह का इलाज हर जगह फिट होने की संभावना नहीं है।

भारतीय आबादी पीडी के मामले में दुनिया में सबसे अलग है, चाहे वह महामारी विज्ञान में हो या जेनेटिक्स में या ट्रीटमेंट रिएक्शन में। हमारे मरीजों को अलग-अलग सोशल और सायकोलॉजिकल समस्याएं भी हैं। जीन और स्टेम सेल थेरेपी दोनों में पार्किंसंस के इलाज को बदलने की जबरदस्त ताकत है। वर्तमान में कोई भी पक्का इलाज नहीं है, लेकिन इसे निपटने और इन उपचारों को बेहतर करने के लिए अध्ययन चल रहे हैं।

इस  तरह से पार्किंसंस एक बीमारी है जिसमें दिमाग में कुछ खास कोशिकाएं खराब हो जाती हैं, जिससे चलने-फिरने में दिक्कत होती है। अभी इसका कोई पक्का इलाज नहीं है, लेकिन स्टेम सेल और जीन थेरेपी नाम की नई तकनीकें आ रही हैं। जैसे-
स्टेम सेल थेरेपी: इसमें खराब सेल्स की जगह नई सेल्स डाली जाती हैं।
जीन थेरेपी: इसमें खराब जीन को ठीक किया जाता है।

पार्किंसंस  की इलाज के ये दोनों तकनीकें फिलहाल शुरुआती स्टेज में हैं, लेकिन इनसे काफी उम्मीद है कि भविष्य में पार्किंसंस को ठीक किया जा सकेगा या कम से कम बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकेगा। फिलहाल, इनका इस्तेमाल सिर्फ रिसर्च में हो रहा है।

 

General Desk

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