वाशिंगटनः अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार तेज होते जा रहा है। अमेरिका ने कहा कि उसने चीन पर 125% नहीं, बल्कि 145% टैरिफ लगाया है। व्हाइट हाउस ने इस बात की जानकारी दी है। आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को चीन पर 125% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। इसके बाद गुरुवार को व्हाइट हाउस ने बताया कि इसमें 20% फेंटेनाइल टैरिफ भी जोड़ा गया है, जो मार्च 2025 से लागू था।
डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन पर 04 मार्च को फेंटेनाइल ड्रग तस्करी में कथित रोल की वजह से 20% टैरिफ लगा दिया था। इसे अब तक अलग से गिना जा रहा था। चीन पर 145% टैरिफ लगाने का आसान भाषा में मतलब है कि चीन में बना 100 डॉलर का सामान अब अमेरिका में जाकर 245 डॉलर का हो जाएगा। अमेरिका में चीनी सामानों के मंहगे होने से उसकी बिक्री कम हो जाएगी। आपको बता दें चीन ने भी अमेरिका पर जवाबी 84% टैरिफ लगाया है।
दोनों देशों के बीच ट्रेड वार शुरू होने की वजह स अमेरिका के सरकारी बॉन्ड बाजार में फिर से बिकवाली शुरू हो गई। वहीं शेयर मार्केट के नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्स में लगभग 07% की गिरावट आई। इसके साथ ही एप्पल, एनवीडिया और अन्य कंपनियों शेयरों में भी गिरावट आई। तेल की कीमतों में लगभग 04% की गिरावट आई, अब कच्चे तेल की कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल से नीचे पहुंच गई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 09 अप्रैल को कहा था कि 75 से ज्यादा देशों ने अमेरिका के प्रतिनिधियों को बुलाया है और इन देशों ने मेरे मजबूत सुझाव पर अमेरिका के खिलाफ किसी भी तरह से जवाबी कार्रवाई नहीं की है। इसलिए मैंने 90 दिन के विराम (पॉज) को स्वीकार किया है। टैरिफ पर इस रोक से नए व्यापार समझौतों पर बातचीत करने का समय मिलेगा।
इससे पहले उन्होंने 02 अप्रैल को अलग-अलग देशों के लिए रेसिप्रोकल (जैसे को तैसा) टैरिफ का ऐलान किया था। इसके तहत भारत पर भी 26% टैरिफ लगाया था।
ट्रम्प के टैरिफ लगाने के फैसले का असर…
- ट्रम्प टैरिफ के चलते अमेरिका समेत ग्लोबल मार्केट में 10 लाख करोड़ डॉलर की गिरावट आई थी। हालांकि, टैरिफ रोकने के फैसले के कुछ घंटों के अंदर ही अमेरिकी शेयर बाजार की वैल्यू 3.1 लाख करोड़ डॉलर बढ़ गई।
- ट्रम्प के कई करीबी सलाहकारों और खुद इलॉन मस्क भी टैरिफ वॉर रोकने की सलाह दे चुके थे। ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता भी टैरिफ के खिलाफ थे। मिच मैककोनल, रैंड पॉल, सुसन कोलिन्स व लिसा मुर्कोव्स्की ने टैरिफ को ‘असंवैधानिक, अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक और कूटनीतिक रूप से खतरनाक’ बताया था।
- टैरिफ के चलते अप्रत्याशित तौर पर अमेरिकी बॉन्ड्स की बिकवाली शुरू हो गई थी। क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई, यह कोरोना काल जैसी स्थिति बन रही थी।
- वॉल स्ट्रीट के बैंकों ने टैरिफ के चलते अमेरिका में महंगाई, बेरोजगारी बढ़ने और मंदी आने की चेतावनी दी थी।
- अमेरिका चीन से 440 अरब डॉलर का आयात करता है। इस पर उसने 145% टैरिफ लगाया है। चीन से प्रोडक्ट्स मंगवाने वाली अमेरिकी कंपनियों के लिए अब इसका विकल्प खोजना बड़ी चुनौती बन रहा था। ऐसे में बाकी देशों पर टैरिफ रोकना इन कंपनियों की सप्लाई चेन के लिए जरूरी था।
चीन के पास अमेरिका के करीब 600 अरब पाउंड (करीब 760 अरब डॉलर) के सरकारी बॉन्ड हैं। मतलब ये कि चीन के पास अमेरिकी इकोनॉमी को प्रभावित करने की बड़ी ताकत है। वहीं, चीन ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है।
चीन ने 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अतिरिक्त लोन इंडस्ट्रियल सेक्टर को दिया है। इससे यहां फैक्ट्रियों का निर्माण और अपग्रेडेशन तेज हुआ। हुआवेई ने शंघाई में 35,000 इंजीनियरों के लिए एक रिसर्च सेंटर खोला है, जो गूगल के कैलिफोर्निया हेडक्वार्टर से 10 गुना बड़ा है। इससे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन कैपेसिटी तेज होगी।
चीन ने अमेरिका के साथ चल रहे टैरिफ वॉर के बीच गुरुवार को कहा था कि वह अमेरिका के आगे ‘जबरदस्ती’ झुकने के बजाए आखिर तक लड़ना चुनेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन उकसावे से नहीं डरता, वह पीछे नहीं हटेगा।
माओ निंग ने सोशल मीडिया पर कई सारे पोस्ट शेयर किए थे। इसमें एक पूर्व चीनी नेता माओ जेदोंग का भी वीडियो था। उसमें माओ कह रहे हैं- हम चीनी हैं। हम उकसावे से नहीं डरते। हम पीछे नहीं हटते। यह वीडियो 1953 का है जब कोरियाई जंग में चीन और अमेरिका अप्रत्यक्ष तौर पर आमने-सामने थे।
वीडियो में माओ कहते हैं कि यह जंग कब तक चलेगी यह हम तय नहीं कर सकते। यह राष्ट्रपति ट्रूमैन या फिर आइजनहावर या फिर जो नया राष्ट्रपति बनेगा, उस पर निर्भर करता है। चाहे यह जंग कितना भी लंबा क्यों न चले, हम कभी भी नहीं झुकेंगे। हम तब तक लड़ेंगे जब तक हम पूरी तरह से जीत नहीं जाते।
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में एक तस्वीर शेयर की थी, जिसमें कहा गया था कि कीमत मंहगी होने के बाद भी अमेरिकी चीनी सामान ही खरीदेंगे।