दिल्लीः आज 29 मार्च है और आज 2025 का पहला सूर्य ग्रहण लग रह है, जो आंशिक होगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार यह आंशिक सूर्य ग्रहण यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका तथा आर्कटिक के कुछ क्षेत्रों में देखा जा सकेगा। यह भारत में दिखाई नहीं देगा,  क्योंकि इस दौरान चंद्रमा की छाया भारतीय उपमहाद्वीप तक नहीं पहुंचेगी।

कुछ स्थानों पर यह ग्रहण सूर्योदय के साथ मेल खाएगा, जिससे दो सूर्योदय जैसा दृश्य देखने को मिलेगा। जैसे ही सूर्य उदय होगा, ग्रहण पहले से ही जारी रहेगा और जब यह समाप्त होगा, तब सूर्य फिर से उदय होता हुआ प्रतीत होगा जिससे यह अनूठी खगोलीय घटना बनेगी।  समय के अंतर, तारामंडल की स्थिति और पृथ्वी व चंद्रमा के संरेखण (एलायनमेंट) के कारण यह भारत में नहीं देखा जा सकेगा, लेकिन खगोलीय परिस्थितियों के मद्देनजर आंशिक सूर्य ग्रहण की भारत में 2:20 बजे शुरुआत होगी। शाम 4:17 बजे यह चरम पर होगा और शाम 6:13 बजे समाप्ति होगी।

नासा के अनुसार, आंशिक सूर्य ग्रहण के दौरान या किसी भी अन्य दिन, सुरक्षित सौर फिल्टर का उपयोग करके सूर्य के धब्बों को देखा जा सकता है। ये काले धब्बे वास्तव में सनस्पॉट होते हैं, जो सूर्य के सतह पर अपेक्षाकृत ठंडे क्षेत्र होते हैं और चुंबकीय गतिविधियों के कारण बनते हैं। ये सनस्पॉट सूर्य पर सक्रिय क्षेत्रों का हिस्सा होते हैं और सौर विस्फोटों के कारण बनते हैं। सूर्य के 11 वर्षीय प्राकृतिक चक्र के दौरान इन धब्बों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है। वैज्ञानिक इन धब्बों का अध्ययन करके सूर्य की गतिविधियों का विश्लेषण करते हैं।

नासा के अनुसार ग्रहण देखने के लिए विशेष सोलर व्यूअर या ग्रहण चश्मे का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि साधारण धूप के चश्मे सूर्य की तेज किरणों से आंखों की सुरक्षा नहीं कर सकते। कैमरा लेंस, दूरबीन या अन्य ऑप्टिकल डिवाइस के माध्यम से बिना फिल्टर के सूर्य को न देखें, क्योंकि इससे आंखों को गंभीर क्षति पहुंच सकती है।

टाइम एंड डेट वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के 9.94 फीसदी यानी 81.4 करोड़ से अधिक लोगों को यह आंशिक सूर्य ग्रहण नजर आएगा। हालांकि ग्रहण के चरम बिंदु को देखने का अवसर मात्र 44,800 लोगों को ही मिलेगा।

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