दिल्लीः गृह मंत्री अमित शाह ने बजट सत्र के आठवें दिन शुक्रवार को मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि चर्चा के दौरान कुछ उपयोगी सुझाव आए हैं। हमारी कमियों की ओर ध्यान दिलाया गया। कुछ राजनीतिक टिप्पणियां भी की गईं। कुछ राजनीतिक आक्षेप भी लगाए गए। सभी का संसदीय भाषा में जवाब देने का प्रयास करूंगा।

उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में बहुत कुछ बदला। आतंकवाद, नक्सलवाद और पूर्वोत्तर में उग्रवाद नासूर बने थे। हमें पिछली सरकार ने इसे विरासत में दिया था। 2014 में हमारी सरकार बनी तो हमने तीनों मोर्चों पर मुकाबला किया। जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं से हुई मौतों में 70% कमी आई है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विपक्ष के 33 साल के शासनकाल में वहां सिनेमाहॉल ही नहीं खुलते थे। हमने 2019 में आर्टिकल 370 हटाया। जी-20 की बैठक में दुनियाभर के राजनयिक वहां गए। हमने वहां सफलतापूर्वक चुनाव करवाए। एक गोली तक नहीं चली।

काला चश्मा पहन कर नहीं दिखेगा विकासः उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि ये हिसाब मांगते हैं कि क्या हुआ 370 हटाने का परिणाम। साहब, हिसाब तो उनको दिया जाता है, नजारा तो उनको दिखाया जाता है, जिनकी नजरें साफ हों। जो काला चश्मा पहन कर, आंखें मूंद कर बैठे हैं, उनको विकास नहीं दिखा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि इनके नेता ने पैदल यात्रा निकाली। कश्मीर तक गए। अपने कार्यकर्ताओं के साथ बर्फ की होली खेली और कहा कि दूर से आतंकवादी दिखाई पड़ा था। अरे भाई, जिनकी नजर में आतंकवादी है, तो आपको सपने में भी आएगा और आपको कश्मीर में भी दिखाई पड़ेगा। हम तो आतंकवादी देखते ही सीधा दो आंखों के बीच में गोली मारते हैं। हमारी सरकार न आतंकवाद को सह सकती है और न ही आतंकवादियों को।

शाह ने कहा, ‘पहले जम्मू कश्मीर में आतंकी आते थे और कोई त्योहार नहीं होता था, जब हमले नहीं होते थे। मोदीजी के आने के बाद भी हमले हुए। उरी और पुलवामा में हमला हुआ। 10 दिन में पाकिस्तान में घर में घुसकर एयर स्ट्राइक कर जवाब दिया गया। इस तरह की कार्रवाई करने वाले दुनिया में इजराइल और अमेरिका की सूची में महान भारत का नाम जुड़ गया।

उन्होंने कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में यात्रा निकली थी। हमें लाल चौक जाने की परमिशन नहीं मिल रही थी। हमने जिद की तो सेना की सुरक्षा में जाना पड़ा और आनन-फानन में तिरंगा फहराकर आना पड़ा। उसी लाल चौक पर कोई घर ऐसा नहीं था जिस पर हर घर तिरंगा अभियान में तिरंगा न हो।
हमने कई ऐसे कदम उठाए जिसकी वजह से आतंकियों से भारतीय बच्चों के जुड़ने की संख्या करीब-करीब शून्य हो गई है। आतंकी जब मारे जाते थे, बड़ा जुलूस निकलता था। आज भी आतंकी मारे जाते हैं और जहां मारे जाते हैं, वहीं दफना दिए जाते हैं।
घर का कोई आतंकी बन जाता था और परिवार के लोग आराम से सरकारी नौकरी करते थे। हमने उनको निकालने का काम किया। आतंकियों के परिवार के लोग बार काउंसिल में बैठे थे और प्रदर्शन होने लगता था। आज वो श्रीनगर या दिल्ली की जेल में हैं।

केंद्रीय गृहमंत्री ने वामपंथी उग्रवाद को किसी ने राजनीतिक समस्या बताया। इस सोच पर तरस आता है। कोई पांच-25 साल में विकास नहीं पहुंचा सकता। कोई छूट गया होगा, इसका मतलब ये नहीं कि हम देश की व्यवस्था को ही न मानें।
हिम्मत देखिए, पशुपति नाथ से तिरुपति तक कई थानों पर कब्जा कर लिया और समानांतर व्यवस्था चलाई, करेंसी चलाई। 31 मार्च 2026 को देश से वामपंथी आतंकवाद समाप्त हो जाएगा। संवाद सुरक्षा और समन्वय के सिद्धांत को आधार बनाकर हम वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 और 2014 से 2024 के बीच उग्रवादी घटनाओं पर कहा, ‘कोई ये समझे कि कांग्रेस का नाम क्यों ले रहा हूं। उससे तुलना क्यों कर रहा हूं। मैं तो यह कह रहा हूं कि 10 साल बाद कोई बीजेपी का गृह मंत्री आएगा तो वो हमारा और हमारा ही आंकड़ा देगा, आपका नहीं। हमसे पहले आपका शासन था, इसलिए आपके आंकड़े दे रहा हूं।

उन्होंने कहा कि मैं आपको बताना चाहता हूं कि नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या पहले 126 थी। अब 12 बचे हैं। 31 मार्च 2026 को हम शून्य लेकर आएंगे। ये मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं।

 

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