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शराब घोटाल केजरीवाल, सिसोदिया की महाभ्रष्ट जुगलबंदी का परिणाम, रिपोर्ट पर जवाब दें केजरीवाल, सिसोदिया और संजय सिंह

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे

दिल्लीः दिल्ली  बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने शराब घोटाले को पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की महाभ्रष्ट जुगलबंदी का परिणाम बताया है और कहा है कि CAG यानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट विधानसभा में पेश किये जाने के बाद ‘आप-दा सरकार’ का भ्रष्टाचार लोगों के सामने आ गया है और अब  केजरीवाल, सिसोदिया तथा राज्यसभा सांसद संजय सिंह को इस मामले में जवाब देना चाहिए। 

वीरेंद्र सचदेवा, दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष एवं सांसद मनोज तिवारी और सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय में संवाददाताओं को संबोधित किया। इस मौके पर दिल्ली बीजेपी के मीडिया प्रमुख्य एवं प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर भी उपस्थित थे। इस मौके पर सचदेवा ने कहा कि दिल्ली में पिछले 10 सालों से जिस लूट, भ्रष्टाचार और झूठ की राजनीति को छिपाने की कोशिश केजरीवाल,  सिसोदिया और  आतिशी मार्लेना कर रहे थे, उसकी सच्चाई सबके सामने आ गई है।

उन्होंने कहा, “कैग की रिपोर्ट सरकार का लेखा-जोखा होता है और सरकार का फर्ज होता है कि इसे सदन के पटल पर रखे,  लेकिन पिछली सरकार ने न्यायलय के हस्तक्षेप के बाद भी इसे नजरअंदाज करती रही और आज जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शराब घोटाले के रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है,  तो कई खुलासे हुए हैं, जो स्पष्ट तौर पर बताते हैं कि शराब का दलाल अगर कोई है, तो वह केजरीवाल हैं। ”

उन्होंने कहा कि दिल्ली को शराब घोटाले से 2,002.68 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है। वापस किये गये लाइसेंसों का फिर से टेंडर न करने से 890 करोड़ रुपये का नुकसान। इसके अलावा कोविड -19 के नाम पर ज़ोनल लाइसेंसियों को 144 करोड़ रुपये की छूट दी गई,  जबकि सुरक्षा जमा राशि ठीक से वसूलने में विफलता से 27 करोड़
रुपये का नुकसान सरकार को उठाना पड़ा है।

दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष ने कहा कि लाइसेंस वितरण में नियमों का उल्लंघन किए गए। लाभ मार्जिन बढ़ाने से थोक विक्रेताओं का मुनाफा बढ़ा और सरकार को घटा हुआ। उन्होंने कहा कि नयी आबकारी नीति में सरकारी नियंत्रण हटाकर निजी कंपनियों को बाजार सौंप दिया गया। कई मामलों में, दुकानों को व्यावसायिक क्षेत्र में बताकर गलत लाइसेंस जारी किए गए, जबकि वास्तव में वे अवैध रूप से संचालित हो रही थीं। बिना गुणवत्ता जांच रिपोर्ट के शराब लाइसेंस जारी किए गए। इन सभी बातों का जवाब अरविंद केजरीवाल को और उनकी पूरी टीम को देना होगा।

सचदेवा ने कहा, “ आम आदमी पार्टी के विधायकों को पिछले 10 सालों में सिखाया गया है कि कैसे शोर मचाना और लूट करना है,  लेकिन अब दिल्ली की जनता भी देखेगी कि कैसे काम किया जाता है और चोरी, दलाली तथा अन्य लूट की रिपोर्टों को कैसे सदन के पटल पर रखकर खुलासा किया जाता है। यह बात वह भाजपा की सरकार से आप के विधायक सीखेंगे।”

इस दौरान मनोज  तिवारी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल द्वारा 2000 करोड़ रुपये से ज़्यादा के घोटाले का कैग की रिपोर्ट के माध्यम से लोगों को पता चलना काफी हैरान करने वाला है। उन्होंने कहा कि आज ही राष्ट्रीय जनता दल के नेता एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से जुड़ा एक मामला सामने आया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कैग रिपोर्ट का आना और लालू यादव के मामले की खबर का सामने आना सिर्फ इत्तेफाक नहीं है। उन्होंने बताया कि लालू यादव ने तो सिर्फ़ 214 करोड़ रुपये के घोटाले में सजा काटे थे, लेकिन दिल्ली में शराब घोटाला तो उससे दस गुना बड़ा घोटाला हुआ है।

उन्होंने कहा कि श्री केजरीवाल ने कई नियमों को ताक पर रख कर इस शराब नीति को लागू किया था, इसलिए वे पिछले कई सालों से कैग रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर लाने से डर रहे थे।  उन्होंने कहा कि कैग की जिस रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस नेता शीला दीक्षित को हराया गया और उनको लेकर अनाप-शनाप बातें कहीं गई। उन्होंने कहा कि आज जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा इस रिपोर्ट को सामने लाया गया, तो कई लोगों को उम्मीद जागी है कि अब दिल्ली में भ्रष्टाचार खत्म होगा। उन्होंने कहा कि शराब घोटाले में संलिप्त सभी को ऐसी सज़ा मिलनी चाहिए ताकि आगे से कोई भी भ्रष्टाचार करने से पहले सौ बार सोचे।

वहीं प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि पिछले 10 सालों से बेदर्दी के साथ दिल्ली को लूटा गया है। दो हजार करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुक़सान सरकार को हुआ,  जो यह स्पष्ट करता है कि दाल में कुछ काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली थी।  उन्होंने कहा कि थोक विक्रेताओं का लाभ मार्जिन पांच से बढ़ाकर 12 प्रतिशत किया गया। सरकारी प्रयोगशाला में गुणवत्ता जांच की बात हुई, लेकिन कोई प्रयोगशाला स्थापित नहीं हुयी।

बीजेपी सांसद ने कहा कि एक ही आवेदक को 54 शराब की दुकानें संचालित करने की अनुमति दी गई (पहले सीमा 2 थी), जिससे एकाधिकार बढ़ा। सरकारी नियंत्रण हटाकर निजी कंपनियों को बाजार सौंप दिया गया। गुणवत्ता परीक्षण मानकों का उल्लंघन किया गया और बिना गुणवत्ता जांच रिपोर्ट के शराब लाइसेंस जारी किये गये। इतना ही नहीं 51 प्रतिशत विदेशी शराब परीक्षण रिपोर्ट या तो पुरानी थीं, या गायब थीं, या बिना तारीख की थीं। इसलिए अब इन सभी मामलों की जांच होगी, और हर पैसे का हिसाब लिया जाएगा।

General Desk

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