संवाददाताः संतोष कुमार दुबे
दिल्लीः बीजेपी ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद के चुनावी हलफनामे को लेकर उन पर निशाना साधा और इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने को कहा । दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने गुरुवार को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली की जनता अरविंद केजरीवाल द्वारा दायर चुनावी हलफनामे को देख कर स्तब्ध है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल 2013 में विधायक चुने गये थे। उस समय उनका कार्यकाल चार नवम्बर 2014 तक रहा था और फिर फरवरी 2015 से लगातार विधायक हैं।
उन्होंने कहा, “ अरविंद केजरीवाल 2013-14 के अपने आयकर रिटर्न में विधायक के तौर पर मिले पैसे को अपने आय का मूल स्त्रोत बताते हैं। उन्होंने बताया कि आश्चर्य की बात यह है कि वह 2013-14 वित्त वर्ष में दो माह का मुख्यमंत्री का वेतन एवं भत्ते और फिर मार्च 2014 से 2014-15 वित्त वर्ष में चार नवम्बर तक उन्हें विधायक का सामान्य वेतन एवं भत्ते मिले होंगे। ”
उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल फरवरी 2015 में पुनः विधायक चुने गये और उन्हें 2014-15 में दो माह और फिर वित्त वर्ष 2015-16 से 17 सितम्बर 2024 को इस्तीफा देने तक मुख्यमंत्री का वेतन एवं भत्ते मिले होंगे। तत्पश्चात हलफनामा फाइल करने या आज तक उन्हें विधायक का वेतन मिल रहा होगा।
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष ने कहा कि फरवरी 2023 में वेतन भत्ते वृद्धि से पूर्व में दिल्ली में तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल को 72,000 रूपये प्रति माह मिलता होगा, जो वृद्धि के बाद 1,70,000 रुपये प्रति माह मिला होगा। इसी तरह, जब वह पूर्व में 2014-15 में सात माह सामान्य विधायक रहे, तो उन्हें 55,000 रुपये का वेतन एवं भत्ते मिले होंगे। अब 17 सितम्बर 2015 के बाद से फिर उन्हें सामान्य विधायक का 90,000 रुपये वाला वेतन मिल रहा होगा।
उन्होंने कहा कि इस हिसाब से चलते हुये हम देखें तो अरविंद केजरीवाल के 2013-14 से 2024-25 तक की जो बेसिक बिना भत्ता आय भी बनती है। वह उनके द्वारा कल 15 जनवरी 2025 को नामांकन पत्र दायर करते हुये, जो हलफनामा दायर किया है, उसमें दिये विवरण से मेल नहीं खाती।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 में जब उनकी विधायक आमदानी तीन माह बंद थी, उस वर्ष उनकी सामान्य आय से कहीं अधिक है। इस वर्ष उन्होंने आय 7,42,884 दिखाई है।
उन्होंने कहा, “ 2015-16 वर्ष में जब 30,000 के बेसिक एवं 72,000 रुपये प्रति माह भत्ते सहित उनका वेतन था, उस वर्ष उन्होंने अपनी वार्षिक आय मात्र 2,46,946 रुपये बताई है। लगभग इतनी ही आय उन्होंने 2016-17, 2017-18 एवं 2018-19 में भी दिखाई है। फिर वर्ष 2019-20 में अचानक उनकी आय घट कर 1,57,823 रुपये रह गयी। ”
उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात है कि इन सभी 2014-15 से 2019-20 के दूसरे मुख्यमंत्री काल के वर्षों में इनके आय कर रिटर्न इनकी मुख्यमंत्री के नाते बेसिक वेतन 3,60,000 रुपये प्रतिवर्ष से भी कम है और इस पर जनता अरविंद केजरीवाल से स्पष्टीकरण चाहती है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल द्वारा कल दायर हलफनामे में सबसे बड़ा प्रश्न उनकी 2020-21 की आमदानी को लेकर उठता है। उन्होंने कहा कि श्री केजरीवाल ने 2020-21 में अपनी आय पिछले वर्ष 2019-20 की आय 1,57,823 से लगभग 40 गुणा बढ़ा कर 44, 90,040 रुपये दिखाई है।
सचदेवा ने कहा कि थोड़ा आश्चर्य होता है कि कोविड़ काल के कारण 2020-21 में जब पूरे विश्व में लोगों की आमदानी नगण्य हुई, जमीन जायदाद की रजिस्ट्री तक बंद थीं, उस वर्ष अरविंद केजरीवाल की आय 40 गुणा कैसे बढ़ गयी?
उन्होंने कहा, “ जब केजरीवाल सरकार ने 2020-21 कोविड़ काल में नयी शराब नीति ठेकेदारों से मिल कर बनाई थी और साथ ही बिना हिसाब-किताब के शीशमहल का निर्माण का प्रस्ताव भी बना था। ”
उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में आय फिर 40 गुणा गिर गयी और 1,62,976 रुपये रह गयी और 2022-23 में मुख्यमंत्री वेतन वृद्धि के बावजूद लगभग उतनी ही 1,67,066 ही बनी रह गयी। उन्होंने कहा कि आश्चर्यजनक रूप से 2023-24 में श्री केजरीवाल की आय फिर छह गुणा बढ़ कर 7,21,530 हो गयी।
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष ने कहा कि 2013-14 से आज तक अरविंद केजरीवाल केवल विधायक वेतन को अपना आय स्त्रोत बताते हैं और 2020-21 में बिना कोई अन्य आय स्त्रोत दिखाये, उनकी आय में 40 गुणा और 2023-24 में छह गुणा की असमान्य वृद्धि पर दिल्ली की जनता उनसे स्पष्टीकरण चाहती है।