दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया ने मेलबर्न में खेले चौथे टेस्ट में 184 रन से जीत हासिल की और पांच मैच की श्रृंखला में 2-1 की बढ़त बना ली है, लेकिन इस मैच में भारतीय बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल को आउट करार दिये जाने के फैसले को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने बॉक्सिंग डे टेस्ट के अंतिम दिन सोमवार को यशस्वी जायसवाल के विवादास्पद तरीके से आउट देने को लेकर तीसरे अंपायर सैकत शरफुद्दौला पर निशाना साधा है।
आपको बता दें कि यशस्वी जायसवाल जब 84 रन बनाकर खेल रहे थे, तब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस की लेग साइड से बाहर जाती गेंद पर हुक शॉट खेलने का प्रयास किया और जबकि विकेटकीपर एलेक्स कैरी ने गेंद को लपका। इसके बाद मेजबान टीम ने कैच की अपील की। मैदानी अंपायर जोएल विल्सन ने जायसवाल को आउट नहीं दिया। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने डीआरएस का सहारा लिया और तीसरे अंपायर शरफुद्दौला ने भारतीय बल्लेबाज को आउट दिया, जबकि ‘स्निकोमीटर’ पर कोई गतिविधि दर्ज नहीं की गई।
शरफुद्दौला ने गेंद के ‘डिफ्लेक्ट’ (दिशा में मामूली बदलाव) होने के आधार पर अपना फैसला दिया। शुक्ला ने ट्वीट किया, ‘यशस्वी जायसवाल साफ तौर पर नॉट आउट था। तीसरे अंपायर को तकनीकी से मिल रहे सुझाव पर गौर करना चाहिए था। मैदानी अंपायर के फैसले को बदलने के लिए तीसरे अंपायर के पास ठोस कारण होने चाहिए।’
महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने भी शरफुद्दौला की उनके विवादास्पद फैसले के लिए आलोचना की जिससे मैच का रुख ऑस्ट्रेलिया की ओर मुड़ गया। जासवाल के आउट होने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने चौथे टेस्ट के अंतिम सत्र में भारत के बाकी बचे विकेट भी हासिल करके 184 रन की जीत के साथ पांच मैच की श्रृंखला में 2-1 की बढ़त बना ली।
सुनील गावस्कर ने कमेंट्री में ही बोल दिया- तकनीक पर विश्वास नहीं तो रखा क्यों?
इससे पहले कमेंट्री के दौरान गावस्कर ने तीसरे अंपायर के फैसले की आलोचना की। गावस्कर ने मेजबान प्रसारक से कहा, ‘गेंद की दिशा में मामूली बदलाव ‘दृष्टि भ्रम’ हो सकता है। आपने तकनीक क्यों रखी है? अगर तकनीक है, तो उसका उपयोग करना चाहिए। आप जो देखते हैं उसके आधार पर निर्णय नहीं ले सकते और तकनीक को नजरअंदाज नहीं कर सकते।’
वहीं, आईसीसी के एलीट पैनल के पूर्व अंपायर साइमन टॉफेल ने हालांकि कहा कि अंपायर ने सही फैसला किया। टॉफेल ने ‘चैनल 7’ को बताया, ‘मेरे विचार में निर्णय आउट था। तीसरे अंपायर ने सही निर्णय लिया। तकनीक प्रोटोकॉल के साथ भी हम साक्ष्य देखते हैं और अगर अंपायर को लगता है कि बल्ले से लगकर गेंद की दिशा बदली है तो इस तरह मामले को साबित करने के लिए तकनीक के किसी अन्य रूप का उपयोग करने की कोई आवश्यकता नहीं है।’ टॉफेल ने कहा, ‘गेंद की दिशा में मामूली बदलाव भी निर्णायक साक्ष्य है। इस विशेष मामले में हमने तीसरे अंपायर से जो देखा है, वह यह है कि उन्होंने तकनीक का इस्तेमाल सहायक के रूप में किया। चाहे जो भी कारण हो इस मामले में ऑडियो (स्निको) में ऐसा नहीं दिखा।’
उन्होंने कहा, ‘आखिर में तीसरे अंपायर ने सही काम किया और स्पष्ट ‘डिफ्लेक्शन’ के आधार पर मैदानी अंपायर के फैसले को पलट दिया। इसलिए मेरे विचार से सही निर्णय लिया गया।’ यह घटना पर्थ में शुरुआती टेस्ट में इसी तरह के विवाद के बाद हुई है जहां सलामी बल्लेबाज लोकेश राहुल के आउट होने पर बहस छिड़ गई थी। ऑस्ट्रेलिया की अपील के बाद मैदानी अंपायर रिचर्ड केटलबोरो ने राहुल के पक्ष में फैसला सुनाया था। घरेलू टीम ने फैसले को चुनौती देने के लिए डीआरएस का इस्तेमाल किया। थर्ड अंपायर रिचर्ड इलिंगवर्थ ने ‘स्प्लिट-स्क्रीन व्यू’ का लाभ नहीं मिलने के बावजूद मैदान अंपायर के फैसले को पलट दिया था। ‘स्प्लिट-स्क्रीन व्यू’ से उन्हें यह स्पष्ट तस्वीर मिल जाती कि क्या मिचेल स्टार्क की गेंद ने वास्तव में बल्ले को छुआ था या स्निको की आवाज गेंद के पैड के टकराने से आई थी।
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