वाशिंगटनः अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का रविवार देर रात निधन हो गया। उन्होंने जॉर्जिया स्थित अपने घर में 100 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली।
01 अक्टूबर 1924 को जन्मे कार्टर 1977 से 1981 तक अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति रहे। आपको बता दें कि वे अमेरिकी इतिहास में सबसे ज्यादा समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति रहे। कार्टर कुछ समय से मेलानोमा बीमारी से पीड़ित थे। मेलानोमा एक तरह का स्किन कैंसर होता है। यह उनके लिवर और दिमाग तक फैल चुका था।
उन्होंने 2023 में हॉस्पिस केयर लेने का फैसला किया। आपको बता दें कि जब अस्पताल मरीज का इलाज करने से मना कर देते हैं, तो हॉस्पिस केयर में लिया जाता है। इसके तहत कुछ नर्सिंग स्टाफ और परिवार के लोग घर पर ही मरीज की देखभाल करते हैं।
कार्टज ने राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद कई साल तक अपनी संस्था ‘कार्टर सेंटर’ के जरिए मानवता के काम किए। इसके लिए उन्हें 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।
जिमी कार्टर ने 01 अक्टूबर 2024 को जॉर्जिया में अपने घर के बैकयार्ड में परिवार और दोस्तों की मौजूदगी में 100वां जन्मदिन मनाया था। कार्टर के बेटे ने कहा कि मेरे पिता उन सबके लिए हीरो थे, जो प्यार में यकीन करते हैं
जिमी कार्टर के बेटे चिप कार्टर ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि न सिर्फ मेरे लिए, बल्कि उन सभी लोगों के लिए हीरो थे, जो शांति, मानवाधिकार और निस्वार्थ प्रेम में विश्वास रखते हैं। जिस तरह से वे लोगों को साथ लाया करते थे, उसकी वजह से आज यह पूरी दुनिया हमारा परिवार है।
जिमी कार्टर 19 नवंबर 2023 को 96 साल की उम्र में अपनी पत्नी रोजलिन कार्टर के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। व्हीलचेयर पर बैठे कार्टर बेहद कमजोर दिखाई दे रहे थे।
जिमी कार्टज के निधन पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि आज अमेरिका और दुनिया ने एक असाधारण नेता, राजनेता और मानवतावादी खो दिया। छह दशक तक हमें जिमी कार्टर को अपना करीबी दोस्त कहने का सम्मान मिला। लेकिन जिमी कार्टर के बारे में असाधारण बात यह है कि अमेरिका और दुनिया भर के लाखों लोग जिन्होंने उनसे कभी मुलाकात नहीं की, वे भी उन्हें अपने करीबी दोस्त जैसा ही मानते थे।
वहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि राष्ट्रपति कार्टर ने हम सभी को सिखाया कि गरिमा, न्याय, सेवा और अनुग्रह से भरा जीवन जीने का क्या अर्थ होता है। मिशेल और मैं कार्टर परिवार और उन सभी के प्रति अपनी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं भेजते हैं, जिन्होंने इस बेमिसाल व्यक्ति से प्रेम किया और उनसे सीख ली।
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जिमी कार्टज के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के तौर पर जिमी कार्टर ने एक अमिट धरोहर छोड़ी है। जिमी उस वक्त राष्ट्रपति रहे जब अमेरिका एक महत्वपूर्ण समय से गुजर रहा था। इस दौरान उन्होंने कई चुनौतियों का समाना किया और सभी अमेरिकियों का जीवन सुधारने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाई।
हालांकि मैं उनके विचारों और राजनीतिक दृष्टिकोण से असहमत था, लेकिन मैंने यह भी महसूस किया कि वह असल में हमारे देश और इसके आदर्शों से गहरा प्रेम करते थे। इसके चलते मेरे मन में उनके लिए सम्मान है।
जिमी कार्टर का जन्म अमेरिका के जॉर्जिया में एक किसान परिवार में हुआ था। 1960 में वो राजनीति में आए और 1971 में पहली बार अपने राज्य के गवर्नर बने। इसके ठीक 6 साल बाद जिमी कार्टर ने रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति जेराल्ड फोर्ड को हराया और राष्ट्रपति बने।
उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बड़ी चुनौतियों का सामना किया। इनमें शीत युद्ध के तनाव, तेल की अस्थिर कीमत और नस्लीय समानता और महिला अधिकारों को लेकर कई अमेरिकी राज्यों में आंदोलन शामिल रहा।
जिमी कार्टज की सबसे बड़ी उपलब्धि 1978 में कैंप डेविड एकॉर्ड था, जो मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात और इजराइल के प्रधानमंत्री मेनाचेम बेगिन के बीच हुआ ऐतिहासिक शांति समझौता था। इस समझौते से मिडिल ईस्ट में शांति कायम हुई और कार्टर शांति समर्थक नेता के रूप में स्थापित हुए।
हालांकि, अमेरिका में बढ़ती मंदी और कार्टर की घटती लोकप्रियता उनके खिलाफ काम कर रही थी। तभी 1979 में ईरान में हुई क्रांति ने अमेरिकी समर्थक शाह को सत्ता से उखाड़ फेंका। इससे उनके खिलाफ ऐसा माहौल बना जिसकी वजह से 1980 के चुनाव में वे रोनाल्ड रीगन से हार गए।
17 सितंबर 1978 में अमेरिका के मैरीलैंड में कैंप डेविड में मिस्र के राष्ट्रपति और इजराइली पीएम के बीच समझौता हुआ। तस्वीर में बाएं से दाएं- मिस्र के राष्ट्रपति अनवर एल-सदात, अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर और इजराइल के प्रधानमंत्री मेनाचेम बेगिन।
17 सितंबर 1978 में अमेरिका के मैरीलैंड में कैंप डेविड में मिस्र के राष्ट्रपति और इजराइली पीएम के बीच समझौता हुआ। तस्वीर में बाएं से दाएं- मिस्र के राष्ट्रपति अनवर एल-सदात, अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर और इजराइल के प्रधानमंत्री मेनाचेम बेगिन।
जनता पार्टी की सरकार के दौरान भारत आए थे जिमी कार्टर
जिमी कार्टर भारत के दौरे पर आने वाले अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थे। वो जनवरी 1978 में तीन दिन के दौरे पर भारत आए थे। जिमी कार्टर का यह दौरा तब हुआ था जब कुछ महीने पहले ही इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में जनता पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली थी और इंदिरा गांधी की हार हुई थी।
जिमी कार्टर के इस दौरे से 1971 में भारत-पाकिस्तान जंग और 1974 में भारत के परमाणु परीक्षण से दोनों देशों के बीच आया तनाव कम हुआ था। बीबीसी के मुताबिक कार्टर की मां लिलियन कई महीनों तक भारत में रही थीं। जब कार्टर भारत आए तो वो हरियाणा में गुरुग्राम के एक गांव दौलतपुर नसीराबाद भी गए थे। इसके बाद से उस गांव का नाम कार्टरपुरी रख दिया गया था।
साल 1974 में भारत ने बिना किसी को भनक लगे राजस्थान के पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण किया था। इससे अमेरिका नाराज हो गया था। इसके चलते भारत पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए गए थे। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक जब जिमी कार्टर 1978 में भारत आए तो उन्हें पूरा यकीन था कि वो भारत से NPT यानी नॉन प्रोलिफरेशन ट्रीटी पर साइन करवा लेंगे और हमेशा के लिए हमारे परमाणु हथियार हासिल करने का रास्ता बंद करवा देंगे। हालांकि ऐसा नहीं हो पााया।
तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने बड़ी चालाकी से उनके सामने तीन शर्तें रख दीं। उन्होंने कहा कि भारत NPT पर साइन कर देगा अगर दुनिया की सभी परमाणु शक्तियां भी ऐसा कर दें। दूसरी शर्त में उन्होंने कहा कि कोई भी परमाणु हथियार नहीं बनाएगा। तीसरी शर्त में उन्होंने कहा कि जितने देशों के पास परमाणु हथियार हैं अगर वो उन्हें खत्म कर देते हैं तो भारत भी कभी कोई परमाणु परीक्षण नहीं करेगा।