संवाददाताः संतोष कुमार दुबे
दिल्लीः बीजेपी पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास रिनोवेशन पर हुए खर्च को लेकर हमलावर है। इस मुद्दे पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने शनिवार को एक बार फिर से आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक पर हमला बोला। उन्होंने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए केजरीवाल के सरकारी आवास 6, फ्लैग स्टाफ रोड में किए गए अवैध निर्माण और उसमें लगाये गये बेशकीमती संसाधनों को लेकर उन्हें कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने केजरीवाल को चुनौती देते हुए कहा कि वे खुद सामने आकर जनता को अपने इस शीश महल का काला सच क्या है, क्योंकि जनता जानना चाहती है कि आखिर इस शीश महल का सच क्या है। इसके अंदर ऐसे आखिर कौन से राज दफन हैं जिन्हें जनता से छुपाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आखिर उनकी ऐसी क्या योजना थी, जिसमें 200 करोड़ रुपये की लागत से अवैध निर्माण करने की तैयारी की जा रही थी । गुप्ता के मुताबिक 06, फ्लैग स्टाफ रोड से सटे 45 और 47 राजपुर रोड पर स्थित टाइप-V के आठ फ्लैट तोड़कर तथा 8-ए और 8-B के दो बंगलों को मिलाकर लगभग 50,000 वर्ग गज यानी 10 एकड़ के विशाल क्षेत्र में मुख्यमंत्री के लिए आलीशान शीश महल खड़ा कर दिया गया । उन्होंने कहा कि जिन बंगलों को तोड़कर इस शीश महल में मिलाया गया उनमें वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों का आवास था।
बीजेपी नेता ने aap नेता पर तंज कसते हुए कहा कि इन सभी 07 सरकारी संपत्तियों को मिलाने के लिए किसी सक्षम अथॉरिटी से अनुमति नहीं ली गई और इसी कारण सरकारी रिकॉर्ड में आज भी ये संपत्तियां बंगला नंबर 45, 47 राजपुर रोड और 8-A तथा 8-B फ़्लैग स्टाफ़ रोड के रूप में ही दर्ज हैं, जबकि 06, फ्लैग स्टाफ रोड का हिस्सा बनने के बाद इनका कोई अस्तित्व ही नहीं बचा है।
उन्होंने कहा कि 6, फ्लैग स्टाफ रोड के मुख्यमंत्री आवास पर कुछ और भी अवैध निर्माण अधूरा पड़ा है, जिसका खुलासा होने के बाद केजरीवाल ने आनन फानन में उस निर्माण कार्य को बंद करवा दिया । संवाददाता सम्मेलन में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शुभेंदु शेखर अवस्थी और यासिर जिलानी भी उपस्थित थे।
गुप्ता ने कहा कि यह निर्माण कार्य बदस्तूर जारी रहता, यदि विपक्ष इस मामले को जनता के सामने ना लाता। उन्होंने कहा कि इसमें सिर्फ निर्माण कार्य में ही अनियमितताएं नहीं बरती गई, बल्कि इस सरकारी आवास में करोड़ों रुपए का आरामदायक लग्जरी साजो-सामान भी लगा दिया गया। यह वह दौर था जब देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था और केजरीवाल अपने इस आलीशान शीश महल को सजाने के लिए इसमें महंगे सामान को जुटाने की खातिर ‘नई शराब नीति’ की इबारत लिख कर रहे थे। पुरानी शराब नीति के होते हुए भी ‘नई शराब नीति’ बनाने का मकसद सिर्फ शराब माफिया को बेजा फायदा पहुंचाना था, जिसके बदले में केजरीवाल ने अपने शीश महल में सोने की कमोड, 28 लाख के टीवी, करोड़ों के पर्दे, महंगे सोफे, रीक्लाइनिंग चेयर्स जैसा लग्जरी सामान जुटा लिया।
बीजेपी नेता के अनुसार यह सारा सामान 2022 में जुटाया गया और इसका खुलासा पीडब्ल्यूडी द्वारा 2022 की इन्वेंटरी लिस्ट और 2024 में शीश महल खाली करने के बाद बनाई गई इन्वेंटरी लिस्ट के मिलान के बाद हुआ। पीडब्ल्यूडी ने यह स्पष्ट किया कि दोनों इन्वेंटरी लिस्ट में भारी असमानता है, क्योंकि 2022 में पीडब्ल्यूडी ने बतौर मुख्यमंत्री केजरीवाल के इस भवन में उन्हें जो जो सामान उपलब्ध करवाया था और 2024 पर जब उन्होंने उसे खाली किया और उस समय जो इन्वेंटरी लिस्ट बनाई गई, दोनों में भारी अंतर था। 2024 में बंगले में लगा सामान 2022 में उपलब्ध करवाये गये सामान से आठ गुना ज्यादा पाया गया।
उन्होंने कहा कि यदि पीडब्ल्यूडी ने यह सामान नहीं दिया तो यह सामान आया कहां से? जाहिर है यह सामान शराब माफिया ने ही केजरीवाल के अहसानों का बदला चुकाने के लिए उन्हें उपलब्ध करवाया था। गुप्ता ने सवाल किया कि क्या केजरीवाल ने खुद यह सामान अपने पैसों से खरीदा तो उसका खुलासा करें । लेकिन इस पूरे मामले में केजरीवाल की चुप्पी जता रही है कि शराब माफिया ने ही उन्हें यह सामान दिया जिसके फायदे के लिए केजरीवाल ने शराब की बिक्री पर मिलने वाले कमीशन को 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया और इस बढ़ाई गई कमीशन की रकम का मोटा हिस्सा केजरीवाल को सहूलियत और आरामदायक संसाधन सामान उपलब्ध करवाने में खर्च किया गया।
गुप्ता ने कहा कि इस मामले में भ्रष्टाचार की शिकायत विपक्ष द्वारा किए जाने के बाद ही केंद्रीय सतर्कता आयोग ने दिल्ली सतर्कता विभाग को जांच के लिये कहा और जिसने जांच को आगे बढ़ाते हुए लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को इस मामले में 5 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा, लेकिन अभी तक उसकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है । गुप्ता ने आरोप लगाया है कि क्योंकि सरकार द्वारा पीडब्ल्यू विभाग के अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा है, इसलिये अभी तक उनकी ओर से कुछ जवाब नही दिया गया।
उन्होंने कहा कि सतर्कता विभाग ने प्रमुख रूप से जिस पर रिपोर्ट देने के लिये लोक निर्माण विभाग को कहा है, उनमें प्रमुख है कि ये संसाधन वहां किसने उपलब्ध करवाये उसका नाम पता लगाया जाए और इस सामान के बदले में उसको क्या लाभ पहुंचाया गया। इसके अतिरिक्त इस पूरे प्रकरण में क्या सरकारी नियमों और प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया। इन सब बातों को लेकर पीडब्ल्यूडी को रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
गुप्ता ने कहा कि जांच की रिपोर्ट आने के बाद केजरीवाल का काला चिट्ठा जनता के सामने आ जाएगा और उसे भी यह पता चल जाएगा कि कट्टर ईमानदारी का चोला पहनकर पिछले दस साल से पूरी दिल्ली को गुमराह करने वाले उनके मुख्यमंत्री केजरीवाल कितने ईमानदार हैं। गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल को अपनी करनी का फल भोगना ही पड़ेगा और दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी इस मामले को मुख्य मुद्दा बनाकर जनता के बीच जायेगी।