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राज्य

बाल मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल, डिफेंस एंक्लेव में वीर बाल दिवस के अवसर पर गुरुमति समागम का आयोजन

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे
दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी में डिफेंस एंक्लवे स्थित बाल मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल में वीर बाल दिवस के अवसर पर गुरुमति समागम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के प्रांगण में गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश किया गया|

इस मौके पर गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब के अध्यक्ष सरदार कुलविंदर सिंह मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित हुए। उन्होंने विद्यालय में चारों साहिबजादों के बलिदान को सर्वोच्च सर्वोच्च बलिदान बताया और विद्यालय के विद्यार्थियों इस विषय में विस्तार से भी बताया। समागम के आयोजन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, पूर्वी-विभाग के कार्यकर्ताओं का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।

कार्यक्रम में मुख्य वक्त के तौर पर शामिल हुए गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी दिलबाग सिंह ने विद्यार्थियों को सिख धर्म के सिद्धांतों के बारे में बताया और कहा कि वीर बाल दिवस श्री गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिबजादों की शहादत को समर्पित है जिनकी वीरता, शौर्य और शहादत भारतवर्ष के धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए किया गया संघर्ष इतिहास में अंकित है। चारों साहिबजादों ने मुगल शासक औरंगजेब के सामने घुटने टेकने की जगह अपने देश और धर्म के लिए अपने प्राणों का बलिदान देना स्वीकार किया

गुरुमति समागम के दौरान चारों साहिबजादों के सर्वोच्च बलिदान को याद करते हुए उपस्थित संगत ने श्री गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिबजादों, बाबा अजीत सिंह जी, बाबा जुझार सिंह जी, बाबा जोरावर सिंह जी एवं बाबा फतेह सिंह जी के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

वहीं, विद्यालय के प्रबंधक योगेश अरोड़ा ने बताया कि औरंगजेब के आदेश पर नौ वर्षीय बाबा जोरावर सिंह जी और सात वर्षीय बाबा फतेह सिंह जी को दीवार में जिन्दा चिनवा दिया गया था, लेकिन उनके अदम्य साहस और बलिदान ने देश, धर्म और भारत की संस्कृति को गौरवान्वित किया। उन्होंने सभी विद्यार्थियों से वीर बाल दिवस को साहिबजादों के बलिदान और प्रेरणा का प्रतीक मानते हुए इसे अपने जीवन में आत्मसात करने की बात कही।

विद्यालय की प्रधानाचार्य संतोष आहूजा ने कहा कि हम सभी को साहिबजादों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और देश और धर्म के प्रति अपने कर्तव्यों के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। साहिबजादों के जीवन मूल्यों को वर्तमान में प्रासंगिक बनाने के लिए उन्होंने विद्यार्थियों से अपील करते हुए कहा कि आप सभी को साहिबजादों की तरह अपने माता-पिता और गुरु को सम्मान देना चाहिए।

इस अवसर पर विद्यालय के कीर्तन जत्थे ने शबद-कीर्तन किया तथा अन्य छात्रों ने साहिबजादों की वीरताओं की कविताएं प्रस्तुत की। प्रस्तुतीकरण के बीच-बीच में “जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल” का जयकारा बार-बार गूंज रहा था। विद्यालय के विद्यार्थियों ने कहा कि साहिबजादों के जीवन से प्रेरणा लेकर भारत देश के सम्मान को बढ़ाने का प्रयास करेंगे। साहिबजादों की गाथाओं ने ना सिर्फ छात्रों को बल्कि वहाँ उपस्थित समाज के लोगों को भाव विभोर कर दिया।

General Desk

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